
Budget 2023: पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की केन्द्र सरकार के आम बजट 2023-24 में बजट को अमृतकाल विजन दस्तावेज की संज्ञा दी गई है। बजट की प्राथमिकता में देश के नागरिकों विशेषकर युवाओं के लिए अवसर, विकास व रोजगार सृजन तथा मजबूत व स्थित विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इसके लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सप्तश्रृषि प्राथमिकताएं गिनाई हैं जो हैः समावेशी विकास, परिवहन संरचना का विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्रों की मजबूती, पार्यावरण हितैषी विकास, क्षमता निर्माण, निवेश और आधारभूत संरचनाओं का विस्तार। लेकिन मौजू सवाल है कि क्या बजट में जो प्रावधान किए गए है उससे आजादी के अमृत महोत्सव से इतर वाकई भारत में अमृतकाल की स्थिति निर्मित होगी?
चुनाव से पहले सभी वर्गों को साधने की कोशिश
हांलाकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बहुत ही चतुराई के साथ उपलब्ध संसाधनों से आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश के सभी वर्गों को साधने की भरपूर कोशिश की है ताकि उसका लाभ 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सरकार को मिल सके। बजट में टैक्स स्लैब की सीमा 5 लाख रूपए से बढ़ाकर 7 लाख करते हुए देश की करीब 8.6 करोड़ वेतनभोगियों को कुछ हद तक संतुष्ट करने की कोशिश की है। इसी तरह से मोदी सरकार ने 80 करोड़ निर्धन लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना को भी आगामी वर्ष के लिए चालू रखा है। इतना ही नही गरीबों के आवास के लिए पीएम आवास योजना पर 79 हजार करोड़ रूपए खर्च किए जायेंगे। केन्द्र सरकार ने गरीबों को साफ पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत 70 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया है।
देश की बहुसंख्यक आबादी कृषि कार्य पर निर्भर है। किसानों के कल्याण की बात की जाए तो बजट में कृषि व किसान कल्याण के लिए 1.25 लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। केन्द्र सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में फोकस किया है। इसके साथ ही मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाकर भारत को विश्व के मिलेट्स हब के रूप में विकसित करने की संकल्पना की गई है। इसके लिए हैदराबाद में भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान की स्थापना की घोषणा की गई है।
निर्मला सीतारमण ने बजट को अमृतकाल का विजन की संज्ञा दी है और इसके तीन प्रमुख बिन्दुओं में युवाओं के लिए अवसर, विकास और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देते हुए मजबूत व स्थिर विकास की परिकल्पना की गई है। इसके लिए भारत में विनिर्माण क्षेत्र और आधारभूत संरचनाओं के विकास पर बजट में जोर देने के साथ ही वित्तीय क्षेत्र को मजबूती प्रदान करते हुए समावेशी विकास पर बल दिया गया है। यह कल्पना की गई है कि उपरोक्त कार्यों से देश में युवाओं के लिए बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा।
युवाओं को कौशल की दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू कर देश के 47 लाख युवाओं को वर्तमान जरूरत के हिसाब से कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसी कड़ी में बजट में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। देश में राष्ट्रीय डिजिटल लाईब्रेरी बनाने की घोषणा की गई है जो देश के साथ ही राज्य स्तर पर भी निर्मित होंगे। इसके साथ ही डीजी लांकर के प्रयोग को बढ़ावा देने की घोषणा की गई है।
बजट में महिलाओं को साधने के लिए महिलाओं के लिए दो लाख रूपए तक निवेश करने के लिए विशेष स्कीम की घोषणा की गई है जिसमें जमा राशि पर महिलाओं को 7.5 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा जबकि बुजूर्गों को साधने के लिए निवेश की सीमा 15 लाख रूपए से बढ़ाकर 30 लाख रूपए कर दी गई है। विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति के लिए प्रधानमंत्री पीव्हीटीजी विकास मिशन की शुरूआत की जाएगी।
बजट में धन कुबेरों को भी राहत दी गई है और उनपर इनकम सरचार्ज को 37 प्रतिशत के घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। इसके लिए वित्तमंत्री ने तर्क दिया कि कर को अन्तराष्ट्रीय मानको के अनुरूप बनाया जा रहा है। लेकिन 15 लाख से उपर के निजी आय पर टैक्स स्लैब की सीमा 30 प्रतिशत बरकरार है जो समझ से परे है।
बजट में प्रमुख मंत्रालयों के लिए आबंटित राशि
बजट में सर्वाधिक आबंटन 5.94 लाख करोड़ रक्षा क्षेत्र के लिए किया गया है। जबकि सड़क परिवहन के लिए 2.70 लाख करोड़, रेल के लिए 2.41 लाख करोड़, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के लिए 2.06 लाख करोड़, गृह मंत्रालय के लिए 1.96 लाख करोड़, रसायण एवं उर्वरक मंत्रालय के लिए 1.78 लाख करोड़, ग्रामीण विकास के लिए 1.60 लाख करोड़ व संचार के लिए 1.25 लाख करोड़ रूपए का आबंटन किया गया है।
बजट में 50 नए एयरपोर्ट विकसित करने के साथ ही देश के पचास पर्यटन स्थलों को सभी सुविधाओं से लैस कर विकसित करने की घोषणा की गई है। लेकिन अहम सवाल यही है कि क्या बजट में की गई घोषणाओं और प्रावधानों से भारत में अमृतकाल आ पायेगा?