रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कटेकल्याण पहुंचे, जहां सीएम ने डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री का निरिक्षण किया। इस दौरान महिलाओं ने ऑटोग्राफ लिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां 143 देवगुड़ी परिसर का सौंदर्यीकरण कार्यों का लोकार्पण किया। 14.30 करोड़ रूपए की लागत से हुआ है 143 देवगुड़ियों का सौंदर्यीकरण। साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सासंद दीपक बैज को डेनेक्स में निर्मित शर्ट गिफ्ट किया।
अपने टैक्सटाइल यूनिट की वजह से देश भर में चर्चित दंतेवाड़ा के नवाचार डेनेक्स की नई यूनिट का शुभारंभ आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कटेकल्याण में किया। यहां 100 महिलाएं गारमेंट्स बनाएंगी। इसी के साथ डेनेक्स के पांचवे यूनिट छिंदनार का एमओयू हुआ। यह एमओयू डेनेक्स एफपीओ और एक्सपोर्ट हाउस तिरपुर के बीच हुआ जो तमिलनाडू के कोयंबटूर में होल सेल की देश की सबसे बड़ी यूनिट में से एक है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि दंतेवाड़ा में आप लोगों का नवाचार देश भर में विख्यात है और अब कटेकल्याण यूनिट के माध्यम से भी इसका कार्य आगे बढ़ेगा। इस मौके पर अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर उनसे आटोग्राफ भी महिलाओं ने चाहा, मुख्यमंत्री ने जैसे ही आटोग्राफ दिये, यूनिट की महिलाओं में खुशी छा गई। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सांसद दीपक बैज को डेनेक्स की बनी शर्ट भी गिफ्ट की।
उल्लेखनीय है कि डेनेक्स के माध्यम से दंतेवाड़ा वस्त्र व्यवसाय के एक नये केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। यहां के कपड़ों की गुणवत्ता की वजह से देश भर में इनकी माँग बढ़ी है और देश भर की व्यापारिक संस्थाएं इनसे एप्रोच कर रही हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि अब तक डेनेक्स के चार यूनिट हारम, बारसूर, कारली, कटेकल्याण में आरंभ हो चुके हैं और पांचवे यूनिट छिंदनार के लिए एमओयू हुआ है। डेनेक्स की यूनिटों के तेजी से प्रसारित होने की वजह से न केवल महिलाओं को रोजगार मिला है अपितु देश भर में संस्थान के कपड़ों की डिमांड होने से अपने कौशल संवर्धन का कार्य भी हो रहा है। उल्लेखनीय यह भी है डेनेक्स की महिलाओं ने ग्यारह किमी लंबी चुनरी का निर्माण भी किया है। जिसे मुख्यमंत्री दंतेश्वरी माई जी को अर्पित करेंगे।
ढेंकी चावल की ली जानकारी, परंपरागत साधनों को बढ़ावा देने पर जताई खुशी- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ढेंकी चावल भी देखा। जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि पुराने समय में परंपरागत रूप से ढेंकी से ही चावल निकाला जाता था जिससे चावल के पौष्टिक गुण बचे रहते थे। मुख्यमंत्री ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि जैविक खेती के जो प्रयोग प्रदेश भर में हो रहे हैं उनमें दंतेवाड़ा जैसी जगहों के लिए और भी अच्छे अवसर हैं क्योंकि यहां की जमीन पहले ही वन भूमि होने की वजह से काफी ऊर्वर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा में जो नवाचार हो रहे हैं वे इस क्षेत्र के प्राकृतिक परिवेश के अनुकूल हैं।