महामाया पहाड़ के ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, कहा- शिकायतकर्ताओं की जांच हो…
शहर के अन्य भागों में भी शासकीय भूमि पर कब्जा लेकिन महामाया पहाड़ को किया जा रहा टारगेट...

अम्बिकापुर/रोमी सिद्दीकी- महामाया पहाड़ अतिक्रमण मामला जो की अब राजनीति मुद्दा बन चुका है आज फिर भाजपा के नेताओं ने जहा एक ओर नगर के पहले नाम रहे कलेक्ट्रेट चौक अब विवेकानंद चौक के पास महामाया पहाड़ को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर नारेबाजी व तख्तिया लेकर प्रदर्शन किया। तो दुसरी ओर महामाया पहाड़ में बरसों से रह रहे गरीब ग्रामीण जोकि बहुसंख्यक समाज से ताल्लुक रखते हैं कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। ग्रामीणों ने सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी पर उन्हें बेघर करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से यह अनुरोध किया है कि उन्हें वही रहने दे क्योंकि वे लोग काफ़ी वर्षों से वहां रहते आ रहे हैं ज्ञापन सौंपने वालों में एक सौ वर्ष की वृद्ध महिला भी थी।
सरगुजा मुख्यालय के कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे इन ग्रामीणों के माथे में शिकन और आंखों में एक डर जो कहीं ना कहीं बेघर होने का था स्पष्ट दिखाई दे रहा था। कलेक्टर साहब से मिलने व सरकार से फरियाद करने पहुंचे इन ग्रामीणों से कलेक्टर साहब तो नहीं मिले भला मिल भी कैसे पाते ये जो गरीब ग्रामीण ठहरे, सरकार को बड़े बड़े नेताओं व सत्ता में पहुच रखने वाले से मिलने से फुर्सत नहीं है। बहरहाल समाज का एक जीव जिसे पत्रकार व अंग्रेजी में मिडिया कर्मी कहते हैं इन ग्रामीणों के पास बैठे और उनकी फरियाद को सुनें और विश्वास दिलाया कि उनकी बातों को सरकार व उनके नुमाइंदों के पास जरूर पहुंचेंगे। दरअसल कलेक्टर साहब को जो ज्ञापन में ग्रामीणों ने सौंपा है उसमें उन्होंने ने कहा है कि वे छोटे-छोटे झोपड़ी बनाकर वे लोग पीढ़ियों से यहां रहते आ रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के कुछ लोग राजनीति स्वार्थ साधने के लिए उन्हें बेघर करना चाहते हैं.
उन्होंने यह भी लिखा है कि पहाड़ में रहने वाले लोग किसी पार्टी विशेष से तालुकात नहीं रखते हैं यहां पर रहने वाले लोग अलग-अलग पार्टी को समर्थन करते हैं ऐसे में उनके साथ जो रवैया अपनाया जा रहा है वह काफी चिंताजनक है उन्होंने यह भी कहा है कि शहर के विभिन्न वार्डों में सहित कई क्षेत्रों शासकीय भूमि में लोग रहते आ रहे हैं ऐसे में उनका घर तोड़ दिया गया तो उनके पास सर छुपाने की भी जगह नहीं बचेगी। शहर के अन्य हिस्सों को छोड़कर महामाया पहाड़ को टारगेट करना कहीं ना कहीं एक षड्यंत्र का हिस्सा है। उन्होंने अपने आवेदन में जिला प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी भी दिया है अगर उनके साथ किसी भी तरह की कोई नाइंसाफी होती है तो वे संविधान के दायरे में अपने परिवार के साथ आन्दोलन करने व संघर्ष करेंगे।
गौरतलब है कि, ज्ञापन में ग्रामीणों ने जो महत्वपूर्ण बात कही है वह यह है कि कानून के नजर में सभी समान है ऐसे में शिकायतकर्ताओं के द्वारा जो शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया गया है उसे हटा कर मिसाल कायम करें ऐसे में बहुत बड़ा सवाल ये उठता है कि ये कौन शिकायतकर्ता है और उन्होंने सरकार के किस भूमि पर कब्जा किया है..?