24 घंटे में प्रदेश के तीन बड़े नेताओं की हुई मौत, राजनितिक गलियारे में शोक का माहौल, जानिए उनके राजनितिक सफर के बारे में
छत्तीसगढ़ के तीन बड़े नेताओं के निधन से छाया गम का बादल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते 24 घंटे के अंदर 3 बड़े नेताओं का निधन हुआ है. इस दुखद खबर के फैलते ही लोगों ने गहरा दुःख प्रकट किया। रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोदिल प्रसाद अनुरागी का निधन हुआ, वहीं देर शाम पूर्व मंत्री रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने आत्महत्या कर ली. यह खबर सुनकर हर कोई हैरान हैं। इसके साथ ही सोमवार की सुबह खबर आई की पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव काभी निधन हो गया है.
प्रदेश के इन तीन बड़े नेताओं को खोने के बाद हर जगह शोक का माहौल है. इनके निधन पर हर कोई गहरा दुःख प्रकट कर रहा है.
आइये इन तीनों बड़े नेताओं के राजनितिक सफर से जुडी घटनाए को जानते हैं.
गोदिल प्रसाद अनुरागी नहीं रहे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिलासपुर से लोकसभा के पूर्व सांसद गोदिल प्रसाद अनुरागी(Former MP Godil Prasad Anuragi) का रविवार को उनके निवास स्थान में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे, कुछ दिन शहर के निजी अस्पताल में उनका इलाज चला. डिस्चार्ज होने बाद से घर में ही उनका इलाज चल रहा था। पूर्व सांसद के अस्वस्थ होने की जानकारी मिलने पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्वास्थ्य अधिकारियों को उनके उपयुक्त इलाज के निर्देश दिए थे। पूर्व सांसद अनुरागी बीते दो महीने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।
पूर्व सांसद अनुराग हमेशा आदिवासियों, सतनामी, पिछड़े समुदा के हक के लिए आखिरी सांस तक लड़ते रहे। वह छत्तीसगढ़ी लोक कला, रहस के बड़े कलाकार थे। उन्हें इस लोक-परंपरा के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए भी जाना जाता है। “वे लोक-परंपरा की जड़ों से जुड़े हुए थे। विधायक बनने से पहले, सांसद बनने के बाद कभी भी वे रहस और अपनी संस्कृति को नहीं भूले। उन्होंने इतनी सादगी से जीवन बिताया कि यह किसी उस कद के नेता के लिए संभव नहीं लगता। वे हमेशा धोती-कुर्ते में, हाथों में किसी गांव, बस्ती, लोगों की मदद करने के कागज लिए कलेक्ट्रेट परिसर के आस-पास मिल जाते थे। पैदल ही घूम रहे इस बुजुर्ग को देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल होता था कि वे ऐसे नेता हैं, जिन्हें नेताओं की भीड़ में भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नाम से पुकारती थीं। वे अंतिम समय तक समाज के वंचित लोगों की लड़ाई लड़ते रहे.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ गोदिल प्रसाद अनुरागी की एक तस्वीर, जब इंदिरा गांधी बिलासपुर प्रवास पर थीं।
बता दें की पूर्व सांसद अनुरागी कोमा में चले गए थे। अंतिम समय में उनकी पुत्री कमला कोसले उनके पास मौजूद थी। वर्ष 1928 में रतनपुर के नवापारा में जन्मे गोदिल प्रसाद अनुरागी वर्ष 1967 से 1971 तक मस्तूरी विधानसभाक्षेत्र क्षेत्र के विधायक रहे और इसके बाद वर्ष 1980 से 1985 तक उन्होंने बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद पद का दायित्व निभाया। स्वर्गीय अनुरागी के एक पुत्र और दो पुत्रियां कमला कोसले और तान्या अनुरागी हैं। उनके पुत्र का देहावसान हो गया है। उनका अंतिम संस्कार गृह ग्राम नवापारा में किया गया।
रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने की आत्महत्या
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री रजिंदरपाल सिंह भाटिया(Former Minister Rajinderpal Singh Bhatia) ने आत्महत्या कर ली। रविवार देर शाम करीब साढ़े 7 बजे उन्होंने अपने छुरिया स्थित घर में उन्होंने फांसी लगा ली। भाटिया राजनांदगांव के छुरिया में अपने छोटे भाई के साथ रहते थे। शाम को वह घर पर अकेले थे। उनके भाई जब घर पहुंचे तो भाटिया अपने कमरे में फांसी पर लटके मिले। फिलहाल अभीतक आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। खबरें है कि वो कुछ दिनों से खराब सेहत की वजह से परेशान चल रहे थे।
रजिंदरपाल भाटिया के आत्महत्या करने की सूचना से लोग बेहद हैरान हैं। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। फिलहाल अब तक किसी तरह का सुसाइड नोट मिलने की पुष्टि नहीं है। इस मामले में पुलिस घर वालों से भी पूछताछ कर रही है। भाटिया एक बार अविभाजित मध्यप्रदेश में और छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद दो बार विधायक चुने गए थे।
बता दें कि भाटिया ने परिवहन मंत्री और CSIDC के चेयरमैन का पद भी संभाला। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में जब उन्हें भाजपा की ओर से टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उस समय कांग्रेस के भोलाराम साहू विधायक चुने गए। उस चुनाव में वह निर्दलीय लड़े और दूसरे स्थान पर रहे, वहीं भाजपा के विजय साहू को तीसरा स्थान मिला था।
रजिंदरपाल सिंह भाटिया 25 अक्टूबर 1949 में नई दिल्ली में जन्मे। उनकी स्कूली शिक्षा राजनांदगांव में ही हुई थी। वह छात्र राजनीति से सार्वजनिक क्षेत्र में आए। उनकी पत्नी भूपिन्दर कौर एक बेटा और दो बेटियां हैं। कुछ साल पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया था। भाटिया छुरिया में अपने भाई के साथ अकेले ही रह रहे थे। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद छुरिया में खेती किसानी के पारिवारिक काम को भी संभाला। साल 1978 से भाटिया राजनीति में सक्रिय हुए। 1980 में भाजपा के ब्लाक अध्यक्ष बने। 1993 में पहली बार चुनाव जीता, 1998 और 2003 में भी विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 2004 में राज्यमंत्री वाणिज्य, उद्योग, सार्वजनिक उपक्रम, ग्रामोद्योग और परिवहन विभाग का जिम्मा संभाला।
युद्धवीर सिंह जूदेव का हुआ निधन
भाजपा के पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव(Former MLA Yudhveer Singh Judeo) का निधन हो गया है. उन्हें गंभीर हालत में बेंगलुरू के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जानकारी के मुताबिक चंद दिनों में उनका लीवर ट्रांसप्लांट किया जाना था, लेकिन स्थिति अनियंत्रित होने की वजह से ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सका था. वहीं सोमवार को उनके निधन की सूचना मिली है.
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से युद्धवीर सिंह जूदेव लीवर के गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे. हालत बिगड़ने पर पहले उन्हें दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस में भर्ती किया गया था, जहां एक पखवाड़े से ज्यादा समय तक उनका इलाज किया गया, लेकिन स्थिति में कुछ सुधार नहीं होने के बाद उन्हें बेंगलुरू के एस्टर हॉस्पिटल ले जाया गया था.
स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव चंद्रपुर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. पिछले दिनों दिल्ली में भर्ती रहने के दौरान प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय समेत कई बड़े नेताओं ने वहां जाकर उनका हाल जाना था. जानकारी यह भी हैं कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दिल्ली के इंस्टिट्यूट आफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस के डाक्टरों से फोन पर बेहतर इलाज के निर्देश दिए थे.
युद्धवीर सिंह जूदेव जशपुर राजघराने के छोटे बेटे थे. युद्धवीर जिला पंचायत सदस्य से लेकर विधायक व संसदीय सचिव समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. युद्धवीर सिंह जूदेव, छत्तीसगढ़ के चंद्रपुर विधानसभा से 2 बार विधायक रह चुके हैं, युद्धवीर सिंह जूदेव जशपुर कुमार स्व. दिलीप दिलीप सिंह जूदेव के सबसे छोटे बेटे थे.
कम उम्र में ही उनकी राजनितिक जीवन शुरू हुई. सबसे पहले सन 2000 के आसपास बजरंग दल के जिला अध्यक्ष रहें। उसके बाद 2004 में सबसे कम उम्र में जिला पंचायत जशपुर के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। उसी समय प्रदेश में उन्होने भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दायित्व सम्हाला। 2008 में चंद्रपुर के लिए विधायक के रूप में निर्वाचित हुए, उसी कार्यकाल में सांसदीय सचिव के रूप में कार्य किया। दूसरी बार चन्दरपुर से विधायक चुने गए, ये दूसरी बार विधायक से पहले उनके बड़े भाई शत्रुंजय सिंह जूदेव, और पिता दिलीप सिंह जूदेव की आकस्मिक मौत के तुरंत बाद इस चुनाव का सामना करना पड़ा था। तीसरी बार उन्होंने खुद चुनाव न लड़ते हुए अपनी पत्नी को चुनाव चंद्रपुर से लड़ाया, पर वहां हार हुई।