‘ये सब नीतिगत मामले हैं…’ चुनावी खर्चे की सीमा तय करने की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट का इंकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के चुनाव खर्चे की सीमा तय करने और चुनाव के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार रोकने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में इलेक्शन पिटीशन के 6 महीने के अंदर निपटारा करने और मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर पूरी तरह से रोक लगाने जैसी मांग भी की गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘ये सब नीतिगत मामले हैं, जो पूरी तरह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।’
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘या तो ये विधायी परिवर्तन हैं या नीतिगत मामले हैं। हम इस तरह की याचिका पर कैसे विचार कर सकते हैं।’ पीठ हरियाणा के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा खर्च की सीमा की गणना और तय करने, नामांकन से पहले पोस्टर और पोस्ट किए गए लेखों पर खर्च को प्रतिबंधित करने और इस दौरान की गई रैलियों के खर्च की गणना करने सहित कई निर्देश देने की मांग की गई थी।
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। याचिका में सभी उच्च न्यायालयों को छह महीने के भीतर चुनाव याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी। पीठ ने कहा कि ‘ये ऐसे मामले नहीं हैं जिन पर हम केवल निर्देश दे सकते हैं। पहले से ही एक कानून है।’ याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा खर्च की कोई सीमा नहीं है।