वसंत यानी फसल कटाई का मौसम भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है और देश के विभिन्न हिस्सों में तरह-तरह के नामों से जाना जाता है। असम में इसे बिहू, पंजाब में बैसाखी, बंगाल में पोइला बैसाख, केरल में विषु और तमिलनाडु में पुथांडु के नाम से मनाया जाता है। इस दौरान लोग मिट्टी की उर्वरता के लिए प्रार्थना करते हैं और फसल काटने की खुशियां मनाते हैं।
फसल से जुड़े 5 त्योहारों…
बैसाखी
पंजाब के मुख्य त्योहारों में से एक बैसाखी इस साल 14 अप्रैल को है। यह त्योहार भारत में वसंत की शुरुआत, सिख नववर्ष की शुरुआत और गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में योद्धाओं के खालसा पंथ के गठन का प्रतीक है। इस मौके पर लोग काढ़ा प्रसाद बनाते हैं और इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी करते हैं। इसके अतिरिक्त लोग लोक गीत, गिद्दा और स्वादिष्ट भोजन के साथ त्योहार का जश्न मनाते हैं।
बोहाग बिहु
बोहाग बिहु या रोंगाली बिहु असम के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और इसे असमिया नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पड़ता है, जो फसल की कटाई की शुरुआत को चिह्नित करता है। इस साल बोहाग बिहु 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यह त्योहार 7 दिनों तक एक अलग-अलग परंपरा के साथ मनाया जाता है। पारंपरिक नृत्य और गीत समारोह त्योहार की मुख्य विशेषताएं हैं।
पोइला बैसाख
पोइला बैसाख इस साल 15 अप्रैल को है। यह बंगाली समुदाय के सबसे खास त्योहारों में से एक है और बंगाली नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है। इस त्योहार को लोग अपने परिवार, दोस्तों और करीबी लोगों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। वे घर पर पोइला बैसाख नामक एक विशेष व्यंजन भी तैयार करते हैं और मंदिरों में जाते हैं। इस दिन का किसान लोगों में खास महत्व होता है।
विषु
विषु केरल में मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसे वहां नए साल के प्रतीक के रूप में बड़ी ही भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 15 अप्रैल को है। यह त्योहार सूर्योदय से शुरू होता है क्योंकि लोग भोर में उठते हैं और भगवान विशु कानी को देखकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। त्योहार से एक दिन पहले घर का बड़ा सदस्य विशु कानी की प्रतिमा स्थापना करता है।
पुथांडु
तमिलनाडु में मनाया जाने वाला त्योहार पुथांडु को पुथुवरुदम के नाम से भी जाना जाता है और यह तमिल नववर्ष का प्रतीक है। तमिल कैलेंडर के हिसाब से नववर्ष का पहला दिन इस साल 14 अप्रैल को है। इस दिन का उत्सव कोल्लम बनाकर शुरू होता है, वहीं घर के प्रवेश द्वार पर रंगीन चावल के आटे से रंगोली बनाना शुभ माना जाता है। इस मौके पर लोग पारंपरिक नृत्य और गीतों से त्योहार का जश्न मनाते हैं।