Tokenization System : 1 जुलाई 2022 से विक्रेताओं, पेमेंट एग्रीगेटर्स, पेमेंट गेटवे और अधिग्रहण करने वाले बैंक अब ग्राहकों के कार्ड की डिटेल्स स्टोर नहीं कर सकेंगे। कारोबारों और दूसरी इकाइयां, जिन्होंने ऐसे किसी डेटा को स्टोर किया है, उन्हें अब इसे हटाकर टोकनाइजेशन लागू करना होगा। सभी डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कार्ड ट्रांजैक्शन्स के टोकनाइजेशन को पेश किया है। इसकी डेडलाइन 30 जून 2022 तय की गई है।
जानिए क्या है डेबिट, क्रेडिट कार्ड्स का टोकनाइजेशन
• टोकनाइजेशन सेवाओं के तहत, कार्ड्स के जरिए ट्रांजैक्शन की सुविधा देने के लिए एक यूनिक अल्टरनेट कोड जनरेट किया जाता है.
• इसमें आपके 16 संख्या के कार्ड नंबर की जगह एक यूनिक जनरेटेड नंबर का इस्तेमाल होगा, जिसे टोकन कहा गया है.
• इसका मतलब है कि ग्राहक के कार्ड की जानकारी अब किसी विक्रेता, पेमेंट गेटवे या थर्ड पार्टी के पास उपलब्ध नहीं होगी.
• कार्ड टोकनाइजेशन की मदद से, ग्राहकों को अब अपनी कार्ड की डिटेल्स को सेव करके रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
• कार्डधारकों को टोकनाइजेशन के लिए सहमति देनी होगी.
क्यों टोकनाइज्ड कार्ड ट्रांजैक्शन को माना जाता है सुरक्षित
टोकनाइज्ड कार्ड ट्रांजैक्शन को इसलिए सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि ट्रांजैक्शन की प्रोसेसिंग के दौरान विक्रेता के साथ असल कार्ड की डिटेल्स शेयर नहीं की जाती हैं। ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने के लिए इकाइयां कार्ड नंबर और कार्डधारक के नाम की आखिरी चार डिजिट को स्टोर किया जा सकता है। टोकन बनाने के लिए ग्राहक की सहमति और ओटीपी बेस्ड ऑथेंटिकेशन जरूरी होती है।
बता दें , कार्ड डिटेल्स को टोकनाइज करने की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की पहली डेडलाइन 30 जून 2021 थी। लेकिन, विक्रेताओं और पेमेंट एग्रीगेटर्स और कार्ड कंपनियों और बैंकों की प्रार्थना पर इसे आगे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दिया गया था। और इसके बाद डेडलाइन को छह महीने के लिए दोबारा आगे बढ़ा दिया गया है। क्रेडिट, डेबिट कार्ड टोकनाइजेशन के लिए डेडलाइन 30 जून 2022 है।