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कोरोना वायरस के चलते क्रूड और गैस के दाम धड़ाम

भारत में गैस और पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में गिरावट

नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते क्रूड (Crude) की कीमतों में नरमी आई। तो वहीं गैस (Gas) के दाम भी धड़ाम हो चुके हैं। कोरोना वायरस के चलते कच्चे तेल की कीमतें 20 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। आज क्रूड का भाव 13 डॉलर प्रति बैरल तक टूट चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल क्रूड की कीमत 54 50 डॉलर है। तो वहीं गैस की भी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को होगा। पेट्रोल (Petrol)  डीजल ( Diesel) की कीमतें गिरने से यहां बढती महंगाई को कंट्रोल किया जा सकेगा।

कच्चे तेल की कीमतें 20 फीसदी गिरी

7 जनवरी के बाद से कच्चे तेल की कीमत 20 फीसदी गिर चुकी है। इसका भाव $13 प्रति बैरल तक टूट चुका है। चीन की सरकार ने 7 जनवरी को कोरोना वायरस के संक्रमण का खुलासा किया था। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चे तेल का भाव $54.50 के आसपास है।

प्राकृतिक गैस के भी गिरे दाम

एशियाई बाजारों में लिक्विफाइड नेचुरल गैल (एलएनजी) की कीमत भी $3 प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट तक फिसल गई हैं। चीन इसकी कई खेप को रिजेक्ट कर चुका है, जिसके चलते कारोबारियों को दूसरे बाजारों का रुख करना पड़ रहा है।

घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल सस्ता

7 जनवरी के बाद से घरेलू बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 3 रुपये की कमी आई है। आने वाले समय में यह और गिर सकते हैं। घरेलू बाजार में दरें 15 दिनों की औसत के आधार पर तय होती हैं।

ओपेक देश कम कर सकते हैं उत्पादन

जेपी मॉर्गन का कहना है कि साल 2020 में कच्चे तेल का औसत भाव $60.40 प्रति बैरल रह सकता है, जो इसके पुराने अनुमान से $4.1 कम है। ओपेक, रूस और सहयोगी मुल्क कच्चे तेल के उत्पादन को 6 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से घटा सकते हैं।

भारत को कितना फायदा

कच्चे तेल के किफायती होने से चालू खाता घाटा, रुपए के भाव और महंगाई पर अंकुश लगेगा। ईंधन पर मिलने वाली सब्सिडी में कमी आएगी। गैस के सस्ते होंने से कंपनियां नए ग्राहकों की दिशा में देख सकती हैं।
ईंधन पर सरकार का खर्च कम होगी, इससे पैसा बढ़ेगा। रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार ड्यूटी शुल्क बढ़ा सकती है। रिफाइनिंग कंपनियां चुप-चाप ईंधन की कीमतों को बढ़ा सकती है, ताकि बीएस-VI के निवेश को भरपाई की जा सके। एलएनजी टर्मिनल परिचालकों को सस्ती गैस मिल रही है, जिसे बाद में अधिक दामों पर बेचा जा सकता है।

 

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