शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जुआ खेलने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा…
पुलिसिया कार्रवाई हुई सुस्त, जुआरियों की बल्ले-बल्ले...

अम्बिकापुर/(रोमी सिद्दीकी)- शहर व शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों जुआ खेलने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. लाखों-करोड़ों का दाव प्रतिदिन बकायदा लगाए जा रहे हैं. सूत्रों की माने तो जुवा के इस अवैध कारोबार में जिले से लगे हुए दूसरे जिले के भी जुआरी इन दिनों अंबिकापुर को जुआ का मुख्यालय मनाने में आतुर हैं. सच्चाई तो यह भी है कि उनके इस कार्य में कुछ पुलिसकर्मियों की भी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।
शहर में जुआ का प्रचलन कोई नयी बात नहीं है लेकिन ये कार्य पुलिस से छिप-छिपकर कर खेला जाता है पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है इस अवैध कारोबार में पुलिस की खुल्लम खुल्ला संलिप्तता होने के प्रमाण मिल रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जुआ खेलने की सूचना मिलने के बावजूद जुआरी पुलिस की पकड़ से बाहर आखिर क्यों रह जाते हैं..? जो कि पुलिसिया कार्यप्रणाली पर कहीं ना कहीं सवाल खड़े करता है। अम्बिकापुर शहर के कुछ चिंहित मुहल्लो में किस घर में कितने समय जुआ खेला जाता है इसकी जानकारी बीट प्रभारी को भलीभांति रहती है.
यही कारण है कि मुखबिर के द्वारा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जब जुआ खेलने की सूचना दी जाती है. वरिष्ठ अधिकारिय कार्यवाही करने हेतु जब निचले पुलिस कर्मियों को कहा जाता है तो वहीं पुलिस कर्मियों के द्वारा जुआरियों को अलर्ट कर देते हैं और समय रहते वहां से भागने का अवसर भी दे देते हैं। जाहिर है पुलिस के मेहरबानी ऐसे ही नहीं जुआरियों पर बनी रहती है..
पुलिस संलिप्तता से बेखौफ है जुआरी…
मामला लखनपुर का जहां इन दिनों बैखौफ जुआरी जुआ खेलते रहते हैं. आप विडियो में भी देख सकते हैं जिसमें एक व्यक्ति जुआ खेलने का विडियो बनाते हुए कुछ बोल भी रहा है। वही दुसरे जुआरी जुआ खेलने में मस्त हैं। दरअसल लखनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्रों में इन दिनों जुआरियों की बल्ले-बल्ले है. पुलिसिया संरक्षण में यहां जुआ प्रतिदिन खेला जा रहा है. जिसकी जानकारी यहां के लोगों ने पुलिस अधीक्षक सहित दुसरे जनप्रतिनिधियों को भी मोबाइल कर के बताया और कार्रवाई करने की निवेदन भी किया गया।
बताया जा रहा है पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर थाना प्रभारी ने जुआ पकड़ने की तत्परता तो दिखायी, लेकिन जुआरियों तक पहुंचने का रास्ता ही भूल गए। बहरहाल, अच्छी बात यह है कि, पुलिसकर्मियों ने वफादारी की जो मिसाल पेश की है वह काबिले तारीफ है लेकिन पुलिस में भर्ती होने के समय जो कसमें खाई थी उसका क्या..?