बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया में शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर गड़बड़ी बरतने का आरोप लगाती हुई एक महिला ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी बेटी को प्रवेश देने में आनाकानी की जा रही है। विभाग के अधिकारी शासन के नियमों व मापदंडों का खुलकर उल्लंघन कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार की योजना का हवाला देते हुए कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के क्रियान्वयन में अफसर खुलकर बेपरवाही कर रहे हैं। बेटी को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जिला शिक्षाधिकारी बिलासपुर को नोटिस जारली कर प्रवेश प्रक्रिया से संबंधित पूरा दस्तावेज कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 जून की तिथि तय कर दी है। याचिका की खास बात ये कि बेटी को प्रवेश दिलाने के लिए मां अपनी याचिका की पैरवी स्वयं कर रही हैं।
खपरगंज निवासी अर्शिया सुल्ताना ने अपनी अपनी पुत्री अरबिया मारफानि को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल में लाला लाजपतराय खपरगंज स्कूल में भर्ती करने के लिए वर्ष 2021 में ऑनलाइन आवेदन जमा किया था। लॉटरी पद्धति से अरबिया का प्रवेश नहीं हो पाया। बेटी का एडमिशन ना होने पर मां ने डीईओ व कलेक्टर बिलासपुर से लॉटरी पद्धति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। डीईओ ने अर्शिया सुल्ताना को बताया कि चयन प्रक्रिया पूर्ण हो चूकी है। भविष्य में सीट रिक्त होने पर प्रवेश की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उनकी बेटी को प्राथमिकता सूची में रखा जाएगा। इसके बाद वर्ष 2022 में सीट रिक्त होने पर अर्शिया सुल्ताना ने जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र 15 जुलाई 2021 का हवाला देते हुए अपनी पुत्री अरबिया मारफानि का पुन: आनलाइन आवेदन जमा किया। लेकिन स्कूलों में लॉटरी चयन प्रक्रिया की सूचना पालकों को नहीं दी गई। पांच मई 2022 को लाटरी निकालते हुए प्रवेश दिया गया। इसमें मात्र दो फीसद बालिकाओं को प्रवेश दिया गया।
याचिकाकर्ता ने राज्य शासन द्वारा जारी गाइड लाइन का हवाला भी दिया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विालयों में भर्ती के लिए राज्य शासन द्वारा गाइड लाइन जारी किया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि रिक्त सीट पर 50 प्रतिशत बालिकाओं का चयन किया जाएगा। बालिकाओं की संख्या नहीं मिलने पर बालकों से रिक्त सीट भरी जाएगी। चयन प्रक्रिया में शामिल शिक्षकों व विभागीय अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी का आरोप याचिकाकर्ता ने लगाई है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जिला शिक्षाधिकारी से प्रवेश को लेकर अपनाई प्रक्रिया और छात्र-छात्राओं की सूची पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 जून की तिथि तय कर दी है।