
रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा में बीजेपी विधायकों ने शून्यकाल में मीसा बंदियों को फिर से पेंशन देने का मसला उठाया. बीजेपी विधायकों ने मीसा बंदियों के पेंशन बहाली के मसले पर स्थगन के जरिये चर्चा की मांग की.
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- असहमति को कुचलकर आपातकाल लगाई गई. न्यायालय से जब फैसला हो चुका है फिर भी मीसा बंदियों को पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है. इस सदन में चर्चा हो जाये या सदन में सरकार की ओर से पेंशन फिर से शुरू करने की घोषणा होनी चाहिए.
बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा- बीजेपी सरकार ने मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत की थी. राजनीतिक कारणों से उसे रोका गया. उसे फिर से शुरू किया जाना चाहिए
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा- कांग्रेस नहीं होती तो आपातकाल नहीं लगता. लोकतंत्र सेनानी का सम्मान आपातकाल में जेल गए लोगों को दिया गया. सरकार की हठधर्मिता है कि कोर्ट के निर्णय के बावजूद सम्मान निधि उन्हें नहीं मिल रहा है
वहीं इस बीच सदन में बीजेपी विधायकों की नारेबाजी और हंगामे की वजह से विधानसभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.
इस मसले पर मीडिया से बातचीत करते हुए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, जिस प्रकार से मीसा बंदियों का जो मामला है. लोकतंत्र सेनानी इस नाम से पूर्वर्ती सरकार के द्वारा जो लोग मिशा में बंद रहे, एक सम्मान निधि की घोषणा की गई थी और सम्मान निधि उनको मिलता रहा. लेकिन जब कांग्रेस की सरकार आई तो नियत उनकी बदल गई और उस सम्मान निधि को देना बंद कर दिया।
कौशिक ने आगे बताया, उच्च न्यायालय में उन लोग गए और न्यायालय में जाने के बाद में उच्च न्यायालय के द्वारा उसमें आदेश पारित किया गया और इस आदेश के तहत इनको जो राशि बंद की गई राशि दिया जाना है. इसलिए आदेश उच्च न्यायालय का अध्ययन छत्तीसगढ़ सरकार करें और जो लोकतंत्र सेनानी है ऐसे लोगों को सम्मान निधि है. उस बात को लेकर के आज हम लोग शून्यकाल में उठाए और हम लोग चाहते थे कि मुख्यमंत्री खड़ा होकर के बड़े मन बना करके घोषणा कर दें कि उच्च न्यायालय के परिपालन में किया जाएगा लेकिन घोषणा नहीं हुई.
धरमलाल कौशिक ने कहा, मैं समझता हूं जिस प्रकार से पूर्ववर्ती सरकार लोकतंत्र सेनानी के लिए जो आज केवल छत्तीसगढ़ में नहीं है बल्कि हिंदुस्तान में बहुत सारे राज्य है और आज वहां लागू है लेकिन सरकार की नीयत ठीक नहीं है। और इसके कारणों ने बंद किया है. उच्च न्यायालय का निर्देश है जो निर्णय है उसका पालन होना चाहिए। हम आज इसे उठाए हैं और आगे भी उठाते रहेंगे जब तक उनको ये राशि नहीं मिलेगी तब तक इस बात को उठाते रहेंगे। लेकिन सरकार की नीयत ठीक नहीं होने के कारण यह राशि को बंद की गई है।