देशदेश-विदेशमध्यप्रदेश

चीतों के भारत आने पर अब खड़ा हुआ विवाद, जमीन वापसी के लिए पालपुर राजघराने के वंशज पहुंचे कोर्ट; जानें पूरा मामला

मध्यप्रदेश। नामीबिया से भारत लाए जा रहे 8 चीतों को आज मध्यप्रदेश के श्योपुर में बने कूनो नेशनल पार्क में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छोड़ेंगे। देश में 74 साल बाद चीतो की वापसी हो रही है, लेकिन इससे पहले ही एक विवाद शुरू हो गया है। चीतों के नये घर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में जमीन को लेकर यह विवाद खड़ा हुआ है।

दरअसल, अभ्यारण्य के लिए दी गई जमीन को लेकर पालपुर राजघराने के वंशजों ने कोर्ट में याचिका लगाई है जिसकी 19 सितंबर को सुनवाई होगी। राजघराने के वंशजों की ओर से दी गई याचिका में कहा गया है कि यह जमीन शेरों को रखने के लिए दी गई थी, लेकिन अब इस सेंचुरी में चीते लाए जा रहे हैं। पालपुर राजघराने के वंशज ने वीडियो जारी कर अपना दर्द सुनाते हुए कहा, ”या तो हमें अपनी जमीन वापस दी जाए या सेंचुरी (अभयारण्य) में शेर लाए जाएं।”

पालपुर राजघराने की ओर से श्योपुर जिले स्थित विजयपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना संबंधी याचिका दायर की गई है। पालपुर राज परिवार का कहना है कि हाईकोर्ट ने हमारी याचिका और दावों के जवाब में अपना जवाब देने के जिला प्रशासन को कहा था। कलेक्टर ने हाईकोर्ट के सीधे आदेश के बावजूद हमारी याचिका का हवाला दिए बिना रिपोर्ट पेश कर भूमि अधिग्रहण करने का आदेश जारी कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को विजयपुर एडीजे कोर्ट में होगी।

क्या है राजपरिवार का दावा?

राज परिवार की तरफ से दायर याचिका में कूनो नेशनल पार्क के अंदर प्रशासन द्वारा अधिग्रहित राज परिवार के किले और जमीन पर कब्जा वापस करने की मांग की गई है। पालपुर राजघराने का दावा है कि उन्होंने अपना किला और जमीन शेरों के लिए दी थी, न कि चीतों के लिए। शेर आते तो जंगल बचता, लेकिन अब चीतों के लिए मैदान बनाए जा रहे हैं और पेड़ काटे जा रहे हैं।

राज परिवार की तरफ से कहा गया है कि जब कूनो को गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

क्या है पूरा जमीन विवाद?

दरअसल, पालपुर रियासत के वंशज शिवराज कुंवर, पुष्पराज सिंह, कृष्णराज सिंह, विक्रमराज सिंह, चंद्रप्रभा सिंह, विजया कुमारी आदि ने ग्वालियर हाईकोर्ट में कूनो सेंचुरी के लिए की गई भूमि अधिग्रहण के खिलाफ साल 2010 में ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका (क्रमांक 4906/10) लगाई थी।

हाईकोर्ट ने याचिका में दिए गए तथ्यों पर संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा था कि यह मामला सेशन कोर्ट का है। सीधे हाईकोर्ट इस तरह के मामलों में सुनवाई नहीं करता। इसलिए कोर्ट ने साल 2013 में श्योपुर कलेक्टर के माध्यम से इस मामले को विजयपुर सेशन कोर्ट में ले जाने के निर्देश दिए थे। 2013 से श्योपुर में पदस्थ कलेक्टर इस मामले को टालते रहे। पालपुर रियासत के वंशजों ने साल 2019 में श्योपुर कलेक्टर के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू की तब तात्कालीन कलेक्टर ने आनन-फानन में विजयपुर सेशन कोर्ट में मामला भेजा।

पालपुर रियासत का आरोप है कि कलेक्टर ने गलत जानकारी के साथ मामला पेश किया। हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना के खिलाफ ही पालपुर राजघराने ने विजयपुर कोर्ट में याचिका लगाई है जिसकी पहली सुनवाई 8 सितंबर को हुई और अगली सुनलाई कूनो सेंचुरी में चीतों के आने के दो दिन बाद यानी 19 सितंबर को होगी।

क्या है राज परिवार की आपत्तियां?

शेर (सिंह) परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना 1981 में जारी हुई थी। कूनो पालपुर सेंचुरी में 220 बीघा सिंचित-उपजाऊ जमीन अधिग्रहित की गई थी, जिसके बदले में 27 बीघा असिंचित, ऊबड़-खाबड़, पथरीली जमीन दी है। 220 बीघा जमीन के बीच पालपुर रियासत का ऐतिहासिक किला, बावड़ी, मंदिर आदि सम्पत्ति है, जिसका अधिग्रहण में कोई जिक्र नहीं, ना ही कोई मुआवजा मिला, फिर भी सरकार इन सम्पत्तियों का उपयोग कर रही है।

पालपुर राजघराने के वंशज श्री गोपाल देव सिंह का कहना है कि पालपुर के राजा स्वर्गीय जगमोहन सिंह जो तीन बार विधायक भी रहे। उन्होंने इस सेंचुरी की खुद नींव इसलिए रखी थी कि कम से कम जानवर और जंगल सुरक्षित रह सकें, लेकिन समय के साथ हमें बेदखल कर दिया गया। उन्होंने कहा हमारी प्रॉपर्टी की वैल्यू को शून्य माना गया और उचित मुआवजा भी नहीं मिला है। अब चीतों को लेकर आ रहे हैं, जंगल को भी काट दिया गया। शासन हमें साल 2013 से लगातार टालता रहा है, हमारा केस कोर्ट में भी नहीं पहुंच रहा है।

पालपुर राजघराने के वंशज का कहना है कि अभ्यारण्य का नाम पालपुर होना चाहिए, इसे हटा कर कूनो नेशनल पार्क कर दिया गया, मुआवजा तो मिलना दूर की बात है। लेकिन थोड़ी इज्जत तो दे देते। उन्होंने कहा कि हम अकेले ही नहीं, करीब 400 से ज्यादा आदिवासी परिवार अभी भी उचित मुआवजे से वंचित हैं।

Tags

Editorjee News

I am admin of Editorjee.com website. It is Hindi news website. It covers all news from India and World. I updates news from Politics analysis, crime reports, sports updates, entertainment gossip, exclusive pictures and articles, live business information and Chhattisgarh state news. I am giving regularly Raipur and Chhattisgarh News.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close