अम्बिकापुर। उत्तर छत्तीसगढ़ में हाथियों का आतंक कई वर्षों से व्याप्त है। आए दिन इनके द्वारा जान-माल की क्षति की खबरें आती रहती हैं। इन पर नियंत्रण कसने के लिए सरकार अब बड़े स्तर पर कार्य योजना बनाकर काम कर रही है। पिछले दिनों सरगुजा में हाथियों पर नियंत्रण के लिए गजराज वाहन भेजे गए थे। अब यहां कर्नाटक से लाए गए कुमकी हाथियों का दल भेजा जा रहा है। यह हाथी दल जंगली हाथियों को नियंत्रित करने में वन विभाग की मदद करेगा।
लगभग 1 वर्ष पूर्व कर्नाटक से लाए गए 5 कुमकी हाथियों को सरगुजा वन वृत्त लाने की अनुमति मिल गई है। पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ एससी अग्रवाल द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद वन विभाग द्वारा कुमकी हाथियों को सरगुजा लाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। इन हाथियों को अलग-अलग ट्रक में लोड कर लाया जाएगा। इस दौरान चारा, पानी की व्यवस्था भी की जाएगी। जंगली हाथियों के उत्पात पर नियंत्रण व जंगल भ्रमण के लिए लगभग 1 वर्ष पूर्व 5 कुमकी हाथियों को कर्नाटक से छत्तीसगढ़ लाया गया है।
पिछले 1 वर्ष से इन हाथियों को यहां की परिस्थितियों के अनुकूल वातावरण देने के नाम पर महासमुंद क्षेत्र में रखा गया है। सूरजपुर, बलरामपुर जिले की सीमा पर विकसित किए गए हाथी राहत व पुनर्वास केंद्र में सारी तैयारियों को पूरा कर लिए जाने के बाद पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने हाथियों को यहां लाने की अनुमति दी है। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ हाथियों को लाने के अभियान में अपना सहयोग देंगे।
हाथी राहत व पुनर्वास केंद्र पिंगला का निरीक्षण
बुधवार को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ एससी अग्रवाल ने हाथी राहत व पुनर्वास केंद्र पिंगला का निरीक्षण किया। आज वे सूरजपुर जिले के हाथी प्रभावित मोहनपुर क्षेत्र का दौरा करेंगे। मोहनपुर के बड़े वन क्षेत्र को वन विभाग ने अस्थाई हाथी ट्रांजित फैसिलिटी सेंटर के रूप में विकसित किया है। यहां हाथियों का एक बड़ा दल वर्षभर डेरा जमाए रहता है। हाथियों द्वारा फसलों मकानों को क्षति ने पहुंचाई जा सके इसलिए अस्थाई ट्रांजिट फैसिलिटी सेंटर विकसित किया गया है।