
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने फाइलेरिया रोग के सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए आज से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। यह राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत होगा। इसके लिए पिछले दिनों चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण विभाग एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के साथ समन्वय स्थापित करते हुए वर्चुअल मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह था कि फाइलेरिया रोग की गंभीरता को मीडिया सहयोगियों के माध्यम से जन-समुदाय में अधिक से अधिक प्रचारित-प्रसारित किया जा सके। इससे लोग इस गंभीर बीमारी के बारे में सही और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें और इस रोग से स्वयं और अपने परिवार को बचा सकें द्य कार्यशाला में सम्बंधित अधिकारियों के साथ ही राज्य के विभिन्न जनपदों के मीडिया सहयोगियों ने प्रतिभाग किया।
फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसेय हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फोएडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है, हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से, इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं-
- मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) – एंटी फाइलेरिया दवा यानि डी.ई.सी. और अल्बंडाजोल की वर्ष में एक खुराक द्वारा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी की रोकथाम।
- मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम-फाइलेरिया या हाथीपांव से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं इलाज।