
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राजधानी में हर साल प्रदूषण से होने वाली समस्या से निजात पाने के लिए बड़ा लिया है। यहां अब डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई है। यह रोक दिल्ली से बाहर के वाहनों पर लागू होगी।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली सरकार ने एक अक्टूबर से 28 फरवरी तक डीजल से चलने वाले बाहरी वाहनों की दिल्ली में एंट्री पर बैन लगा दिया है। सरकार के इस फैसले का असर हजारों कारोबारियों पर पड़ना तय है। दिल्ली के व्यापारी और ट्रांसपोर्टर सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए दावा किया है कि सरकार के इस फैसले से उनको करोड़ों रुपये का नुकसान होगा।
दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन की मानें तो दिल्ली में रोजाना करीब डेढ़ लाख डीजल वाहन देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं। ये डीजल वाहन दूसरे राज्यों से सामान दिल्ली लेकर आते और जाते हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण डीजल वाहनों से ही नहीं अन्य कारणों से भी होता है। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कंस्ट्रक्शन (निर्माण कार्य) और कंपनियां हैं लेकिन सरकार उन पर कोई रोक नहीं लगाती।
इस संबंध में ट्रांसपोर्टरों ने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर फैसले को वापस लेने की मांग की है. वहीं, सीएआईटी के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने 29 जून को अलग-अलग व्यापार संगठनों की बैठक बुलाई है. सीएआईटी ने ट्रांसपोर्टरों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को व्यापारियों के हितों को भी ध्यान रखकर फैसला लेना चाहिए. प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार फैसला ले लेकिन ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों पर इसका असर न पड़े इसका भी ध्यान रखना चाहिए.