सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले नए कानून पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। हालांकि, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले नए कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
नए कानून में चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को बाहर रखा गया है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से नए कानून पर रोक लगाने की मांग की थी। पीठ ने उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह से याचिका की एक प्रति केंद्र के वकील को देने को कहा। याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि यह कानून ‘शक्तियों के विकेंद्रीकरण के विचार के खिलाफ’ है।
हालांकि, पीठ ने कहा कि वह कानून पर रोक नहीं लगा सकती, और इस मामले में केंद्र को नोटिस जारी करेगी। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘हम वैधानिक संशोधन पर रोक नहीं लगा सकते। जारी नोटिस पर अप्रैल 2024 तक जवाब दिया जा सकता है’। बता दें कि सीईसी और चुनाव आयुक्तों को चुनने वाले पैनल से सीजेआई को बाहर रखने को लेकर उपजे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
क्या है नए कानून में प्रावधान
जया ठाकुर द्वारा दायर याचिका में ‘सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति का गठन करने, चयन की एक स्वतंत्र और पारदर्शी प्रणाली’ लागू करने के लिए शीर्ष अदालत से निर्देश देने की मांग की गई है। नए कानून के मुताबिक, ‘मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाएगी। प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे। इसके अन्य सदस्यों में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे’।
विपक्ष का केंद्र सरकार पर आरोप है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल से सीजेआई को हटाकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की गई है। मार्च 2023 के अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई का पैनल सीईसी और ईसी का चुनाव करेंगे। हालांकि, केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में एक बिल लाकर इस कानून में संशोधन कर दिया, जिसमें सीजेआई को पैनल से बाहर रखा गया है।