
कोरोनावायरस (coronavirus) के एक-एक कर नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं और ये सारे वैरिएंट्स ने दुनिया में तबाही मचा रखी है. भारत में मिले कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने दूसरी लहर में तबाही मचाई थी और कई देशों में फिलहाल डेल्टा वैरिएंट को रिप्लेस कर के कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन सामने आया है. अभी तक इसके बारे में पूरी जानकारी भी नहीं मिली है कि इस बीच एक नए तरह के कोरोनावायरस के वेरिएंट का नाम सामने आने की खबरों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इन नए वायरस का नाम नियोकोव (NeoCoV) है जो कहा जा रहा है कि दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में फैला पाया गया है. इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित होने वाले हर तीन लोगों में से एक की मौत हो सकती है.
कोरोना के इस नए वेरिएंट नियोकोव के बारे में अभी ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया है और इसके बारे में जो रिपोर्ट बताई जा रही है वो रिपोर्ट कितनी सही है, इसका अभी तक पुख्ता दावा नहीं किया जा सकता.
दुनिया भर में जो न्यूज की एक रिपोर्ट वायरल हो रही है, जो चीन के वैज्ञानिकों का एक रिसर्च पेपर है, उसे अन्य वैज्ञानिकों द्वारा अबतक पुष्टि नहीं की गई है.
क्या है NeoCoV वायरस
कोरोना के नए वेरिएंट नियोकोव वायरस कुछ समय पहले ही दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में इस वायरस को पाया गया था. बताया जाता है कि नियोकोव की बनावट काफी हद तक उस कोरोनावायरस जैसी है, जिसने 2012 में दक्षिण एशिया में फैलने वाले संक्रमण ‘मिडिल-ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (MERS) को जन्म दिया था.
चीनी वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में पाया कि चमगादड़ों को संक्रमित करने के लिए नियोकोव वायरस ने जिन रिसेप्टर्स का इस्तेमाल किया, वे इंसान की उन कोशिकाओं से काफी मिलती-जुलती हैं, जिनकी मदद से सार्स-सीओवी-2 इंसानों के शरीर में फैलता है.
NeoCoV कितना है खतरनाक, जानिए डॉक्टर की राय
महाराष्ट्र के कोरोनावायरस टास्क फोर्स के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर शशांक जोशी ने अपने ट्वीट के जरिए नियोकोव को लेकर फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश की है और कहा है कि “नियोकोव एक पुराना वायरस है, जो कि MERS की तरह ही डीपीपी4 रिसेप्टर्स के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचता है.” इस वायरस में नया ये है कि यह चमगादड़ों के एसीई2 रिसेप्टर्स (ACE2 Receptors) को प्रभावित कर सकता है, लेकिन जब तक इसमें नया म्यूटेशन नहीं होता, यह इंसानों के एसीई2 रिसेप्टर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकता. बाकी सब सिर्फ बढ़ा-चढ़ाकर की गई बातें हैं.”
उन्होंने बताया कि जिस रिसर्च पेपर की बात कही जा रही उसमें भी कहा गया है कि नियोकोव को अब तक सिर्फ चमगादड़ों में पाया गया है और इससे कभी भी इंसान संक्रमित नहीं हुए हैं. इसकी हर तीन में से एक व्यक्ति को मारने की क्षमता इस तथ्य से आई है कि यह मर्स (MERS) वायरस जैसा है और स्टडी में मर्स संक्रमण से मृत्यु दर 35 फीसदी आंकी गई है.
गौर करनेवाली बाय यह है कि जब दक्षिण एशिया में मर्स फैला था, तब यह एक सीमित स्तर तक ही प्रभावी था. कोरोनावायरस की तरह यह महामारी नहीं बना था. फिलहाल नियोकोव के चमगादड़ों से इंसानों में फैलने के कोई सबूत नहीं हैं.