आज छत्तीसगढ़ में घरों में ही विराजेंगे विनाशक, जानिए भगवान गणेश के स्वरूप के बारे में

रायपुर। कोरोना महामारी की बीच रायपुर समेत छत्तीसगढ़ आज से गणेश महोत्सव शुरू हो रहा है। आज से 10 दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत हो रही है। संक्रमण कम होने की वजह से इस बार घर के अलावा पंडालों में भी भगवान गणेश की स्थापना कर सकेंगे। साथ ही ईको फ्रेंडली मिट्टी से बनी गणपति बप्पा की मूर्तियों को घरों में स्थापित किया जाएगा। वहीं गणेश चतुर्थी पर राज्यपाल अनुसुईया उइके, सीएम भूपेश बघेल, स्पीकर डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्करे ने बताया कि भगवान गणेश का स्वरूप सफलता का मार्ग है। उनका स्वरूप कुछ ऐसा है कि मनुष्य अपने व्यक्तित्व से संबंधित सुधारों के लिए इनसे प्रेरणा ले सकता है। गणेशजी को शूर्प कर्ण भी कहा जाता है। उनके कान सूपा जैसे हैं। दरअसल, सूपा का कार्य है, सिर्फ ठोस धान को रखना और भूसा को उड़ा देना है। यानी काम की बात को समझना और आधारहीन बातों को वजन न देना। उनकी आंखें सूक्ष्म हैं, जो जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती है। नाक लंबी और बड़ी है, जो बताती है कि सूंघने की शक्ति। इसका मतलब परिस्थिति और समस्याओं को भांपने से है। यह सशक्त होनी चाहिए। उनका अखंड दांत श्रद्धा का प्रतीक है, जिसे हमेशा बनाए रखनी चाहिए। खंडित दांत बुद्धि का प्रतीक है, जिसका मतलब एक बार बुद्धि भले ही भ्रमित हो जाए, लेकिन श्रद्धा न डगमगाए।
स्थापना मुहूर्त
सिंह लग्न सुबह 6.20 बजे तक
वृश्चिक लग्न सुबह 10.42 बजे से 10.57 बजे तक
कुंभ लग्न शाम 4.51 से 6.26 बजे तक
वृषभ लग्न रात 9.39 से 11.38 बजे तक
इस मंत्र का करें जाप
ओम एकदंताय विधामहे, वक्रतुंडय धिमही, तन्नो दंति प्रचोदयात
ओम वक्रतुंडिक नृत्यस्त्रय क्लिंग हिंग श्रृंग गण गणपतय वरदा सर्वजनं मे वाशमनय स्वाहा
वक्रतुंड महाकाया, सूर्य कोटि समस्तप्रभः निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्व कार्येशु सर्वदा