
रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य विनाश के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीयअध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में युवाओं के सवालो से घिर गए। क्लाईमेट जस्टिश के लिए काम करने वाले युवाओं के समुह से एक युवती ने राहुल गांधी से पूछ दिया कि आखिर वे वर्ष 2015 में हसदेव अरण्य प्रभावित लोगों से किए गए वायदों को क्यों नही निभा रहें है। सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि वे खुद भी खनन को लेकर प्रचलित नीति से सहमत नही है।
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को देखेंगे और जल्द ही इस विषय पर कोई निर्णय सामने आएगा। राहुल गांधी ने इस विषय को उठाने वाली युवती की सराहना की और कहा कि मैं आपके द्वारा उठाये गए सवाल से सहमत हूं। देखिए किस तरह से घिरे राहुल गांधी…………।
Yesterday, we went to a talk with @RahulGandhi to ask him: in light of his promises in 2015 to fight for Hasdeo and Adivasi people, why are the Congress party now complicit with Adani’s deforestation and mine expansion? #SaveHasdeo #StandWithAdivasis pic.twitter.com/rSwnJIiDsf
— XR Youth Cambridge (@xryouthcambs) May 24, 2022
गौरतलब हो कि हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आदिवासियों के आंदोलन में भाग लेने के लिए 2015 में राहुल गांधी सरगुजा जिले के प्रभावित क्षेत्र में आए थे और स्थानीय लोगों से वायदा किया था कि किसी भी सूरत में वे हसदेव अरण्य को उजड़ने नही देंगे। लेकिन कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने ही अडानी द्वारा कोयला खनन के लिए पहले दो लाख पेड़ काटने की मंजूरी दे दी थी और अब 5 लाख और अतिरिक्त पेड़ काटने की मंजूरी देने की तैयारी अंदरखाने चल रही है।
राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ न केवल स्थानीय लोग बल्कि राज्य में कार्यरत आदिवासियों के सबसे बड़े संगठन सर्व आदिवासी समाज समेत राज्य के दो दर्जन से ज्यादा संगठन और देश-विदेश के लोग लगातार अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन राज्य सरकार फिलहाल इस विषय पर पुनर्विचार करने के मुड में नही है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि देश को यह तय करना होगा कि उन्हें बिजली चाहिए कि नही? क्योंकि बिजली चाहिए तो कोयले का खनन होगा ही।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विषय पर आनेवाले दिनों में राहुल गांधी क्या स्टैंड लेते है और राज्य सरकार किस तरह से इस मुद्दे से निपटती है। क्योंकि यदि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को नही सुलझा पाई तो न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी को इन सवालों से जुझना पड़ेगा कि राहुल गांधी ने आदिवासियों और आंदोलनकारियों से किया अपना वायदा नही निभाया।