
बिहार सहित पूरे देश में 4 दिनों तक चलने वाले छठ के तीसरे दिन आज व्रती महिलाओं और पुरषों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया, जहाँ रायपुर के महादेव घाट समेत कई तालाबों में छठ का महापर्व मनाया जा रहा है, इसी बीच रायपुर के साड्डू तालाब में भी छठ की छठा बिखरी हुई दिखी जहाँ व्रती औरते और पुरुष कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्ग देते और प्राथना करते नजर आये, इस दौरान व्रतियों का परिवार उनके साथ नजर आया , इस छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. यह पूजा चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है. इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं. छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं. एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं.
सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं. अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है. उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है. घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते है.. और आखिरी में चौथे दिन उगते सूर्य को ार्ग देने के बाद व्रती अपना व्रत खोलते है
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