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श्रीति घोष ने अपने 10 वें जन्मदिन पर मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए 10 हजार रुपए दान

एसडीएम ने की बच्ची की सोच की तारीफ, कहा समाज में जाएगा अच्छा संदेश

 

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू की  रिपोर्ट 

पखांजुर।  कोरोना संक्रमण     (COVID 19 ) महामारी से इस संघर्ष में आज जहां देश के बड़े-बड़े उद्योगपति, सामाजिक संस्थाएं और आम लोग सामने आकर मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर इस संक्रमण से लड़ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं । ऐसे में पखांजूर  ( Pakhanjur) के पी.व्ही. 116 में रहने वाली 10 साल की मासूम बच्ची श्रीति घोष  (Shrinivas Ghose ) ने अपने 10 वें जन्मदिन पर मुख्यमंत्री राहत कोष में 10000 रुपये दान कर इस छोटी सी उम्र में समाज के लिए मानवता का एक बहुत बड़ा संदेश दिया है ।

श्रीति घोष से नहीं  देखी गई  लोगों  की तकलीफ

श्रीति घोष के पिता अमित घोष का कहना है कि हर साल हम अपने बेटी का जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं और इस बार भी मैंने अपनी बेटी से पूछा कि श्रीति तुम्हें अपने जन्मदिन पर क्या तोहफा चाहिए ? तो मेरी बेटी ने बड़ी मासूमियत से कहा पापा मैं टीवी में रोज देखती हूं कि कई लोग इस कोरोना महामारी के चलते तकलीफ में हैं ।  कई लोगों के पास खाने-पीने के चीजों की भी कमी है जिनकी सरकार मदद कर रहे है , इसलिए मैं भी सरकार और उन लोगों की मदद करना चाहती हूँ ।  इसलिए इस बार मेरे जन्मदिन में मुझे कुछ नहीं चाहिए , आप मेरे तोहफे का पूरा पैसा जो तकलीफ में है उनको दे दीजिए ।

पिता ने  पूरी की बेटी  की इच्छा

इस पर अमित घोष अपने 10 साल की मासूम बच्ची श्रीति के साथ पखांजूर राजस्व अनुविभागीय अधिकारी के कार्यालय पहुँचे और मुख्यमंत्री राहत कोष के नाम से 10,000 रुपये का चेक पखांजुर एसडीएम श्रीमती निशा नेताम को सौंपा ।

एसडीएम ने  भी की सराहना

इस पर पखांजूर एसडीएम (SDM ) श्रीमती निशा नेताम ने महज 10 साल के इस मासूम के नेकदिली पुर्ण सोच और जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि वाकई यह हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है।   आज भी जिन समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता हैं उस समाज के लिए यह एक सीख और प्रेरणा है । मासूम श्रीति का यह ज़ज़्बा ये दर्शाता है कि एक नारी कभी लक्ष्मी तो कभी काली के रूप में जब-जब इस समाज पर कोई विपत्ति आयी है तो बेटियों ने आगे आकर हमेशा संघर्ष किया है फिर चाहे उनकी उम्र कुछ भी रहा हो । वही श्रीति के पिताजी अमित घोष का कहना है कि ऐसी सोच वाली बेटी पाकर मैं स्वयं को बेहद खुशनसीब मानता हूँ और हमें भी आगे आकर “बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ” के सपने को साकार करते हुए समाज को और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता हैं । लोगों ने भी इस मासूम बच्ची के सोच की जमकर सराहना की है ।

 

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