ट्रांसजेंडर वकील के लिए नामांकन फीस में छूट की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें ट्रांसजेंडर वकीलों के लिए उस नामांकन शुल्क को माफ करने की मांग की गई थी जो वैधानिक बार निकायों के द्वारा लिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मुद्दे न्यायिक समीक्षा के मापदंडों के तहत नहीं आते हैं।
चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि न्यायिक समीक्षा के मानदंड संवैधानिक अदालतों को नामांकन शुल्क में छूट जैसे आदेश पारित करने की अनुमति नहीं देते हैं। सीजेआई ने पूछा, आप यह नहीं कह सकते कि केवल आपसे ही नामांकन शुल्क न लिया जाए। केवल ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही क्यों, इसे महिलाओं, विकलांगों और हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों तक क्यों न बढ़ा जाए। आपको न्यायिक समीक्षा के मापदंडों को समझना चाहिए।
बेंच ने पूछा, केवल कानूनी पेशे में ही इस तरह की शुल्क माफी क्यों? इस तरह की शुल्क माफी को चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा वह याचिका को खारिज कर रहा है। इसे बाद याचिकाकर्ता एम. करपगम के वकील ने याचिका को वापस लेने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने करपगम को इस आशय का एक प्रतिनिधित्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देने की अनुमति दी।