रायपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (मेकाहारा)में संचालित कैंटीन जो काफी प्रयाशों के बाद खुला वो अब फिर 30 सितम्बर से बंद होने वाला है। कैंटीन संचालक प्रणय उइके ने बताया कि उन्होंने जून महीने में कैंटीन चालू किया पर किराया काफी ज्यादा होने के कारण इसे चलाना मुश्किल है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट से काफी बार बात करने के बाद भी कम नहीं किया जा रहा है। इसका किराया 95000/- (पंचानबे हजार) और बिजली बिल मिला कर 1 लाख से भी ज्यादा किराया है जो कि रायपुर के प्रीमियम लोकेशन का भी नहीं होता। 1 लाख किराया देकर किसी भी हालत में कैंटीन नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने बताया कि मैनेजमेंट ने बीच मे कम करके 45 हजार महीना कर दिया गया उसमे मैं चलाने लगा, पर बढ़ाकर 1 लाख से ऊपर कर दिया।
बता दें कि नेशनल मेडिकल कमीशन/मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया का नियम है कि मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कैंटीन होना आवश्यक है। जिससे कि वहां के मेडिकल स्टूडेंट, रेसिडेंय डॉक्टर्स, मरीज और मरीजों के परिजनों को खाना , नाश्ता मिल सके।NMC के हिसाब से तो 24 घंटे संचालित कैंटीन होना चाहिए क्योंकि मेकाहारा में 24 घण्टे रेजिडेंट डॉक्टर्स काम करते है और मरीज और उनके परिजन आते है, रात में चाय तक नसीब नही होती। दूसरे गवर्नमेंट हॉस्पिटल जैसे Aiims या मेडिकल कॉलेज में कैंटीन को सब्सिडी दी जाती है जिससे वो मरीजो और मेडिकल स्टाफ को कम रेट में गुणवत्ता युक्त नाश्ता उपलब्ध करवा सके। कोई 1 लाख किराया देकर कैसे अच्छा नाश्ता उपलब्ध करवा सकता है।
वही जुडो के प्रेजिडेंट डॉ प्रेम चौधरी ने बताया कि मेडिकल स्टूडेंट (MBBS), पीजी रेजिडेंट डॉक्टर्स और कंसलटेंट पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से कैंटीन बन्द होने की वजह से काफी परेशानी होती थी फिर हेल्थ मिनिस्टर से बात करके कैंटीन स्टार्ट करवाया, वो भी यदि बन्द होता है तो काफी दुखद है। मेडिकल और रेजिडेंट डॉक्टर्स 24घण्टे ड्यूटी करते है। कैंपस में बेसिक कैंटीन जैसी चीजें तो होनी ही चाहये ,जबकि 24 घण्टे चलने वाला कैंटीन होना चाहिए।