जिस लड़की के कत्ल में दो साल सजा काटी, वो मर्डर कभी हुआ नहीं, ऐसे हुआ खुलासा
नई दिल्ली. करीब छत्तीस साल पहले एक फिल्म आई थी अंधा कानून. उस फिल्म में अमिताभ बच्चन एक फॉरेस्ट अफसर जां निसार ख़ान के किरदार में थे. जांनिसार खान पर कत्ल का इलजाम लगता है और अदालत उसे 20 साल कैद की सज़ा सुना देती है. जां निसार खान सज़ा काट भी लेता है. लेकिन रिहा होने के बाद उसे पता चलता है कि जिसकी हत्या के लिए उसने 20 साल की सज़ा काटी थी वो तो ज़िंदा है. 36 साल बाद फिल्मी पर्दे के बाहर असली जिंदगी में ऐसी ही एक कहानी सामने आई है. कहानी मर्डर के एक ऐसे मामले की जो कभी हुआ ही नहीं था.
6 मार्च 2018 बाराबंकी
दरियाबाद के तारापुर से 19 साल की नेहा सुबह सवेरे अपनी साइकिल से इम्तेहान देने कॉलेज के लिए निकली थी.. मगर वो कॉलेज नहीं पहुंचती.. घरवालों ने बहुत ढूंढा.. मगर वो नहीं मिली.. मिली तो बस सड़क किनारे पड़ी उसकी साइकिल और चप्पल.. लिहाज़ा पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई..
8 मार्च 2018 बाराबंकी
सुबह-सुबह शहर की शारदा नहर के किनारे एक लड़की की लाश मिलती है. ये लाश उसी 19 साल की नेहा की बताई गई. जो 2 दिन पहले 6 मार्च को कॉलेज जाते वक्त लापता हो गई थी. घरवालों ने लाश की पहचान कर ली. और इल्ज़ाम लगाया गया अनिल यादव और राजू सिंह पर. कहा गया कि इन्हीं दोनों ने नेहा की किडनैपिंग और हत्या की है. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया.
15 अगस्त 2018 ज़िला जेल, बाराबंकी
करीब 5 महीने जेल में बिताने के बाद राजू और अनिल को हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई. मगर जेल से बाहर आने के बाद भी इनकी मुश्किलें कम नहीं हुई. नेहा के घरवाले अक्सर इन्हें परेशान करने लगे. जिसके चलते ज़मानत पर होने के बावजूद इन दोनों के लिए अपने घर में रह पाना मुश्किल हो गया.
12 फरवरी 2019 बाराबंकी
मगर अब कुछ ऐसा होने वाला था जिसकी उम्मीद अनिल या राजू को तो छोड़िए किसी को भी नहीं था. मंगलवार को अनिल अपने छोटे भाई को एग्ज़ाम दिलाने के लिए निकला तभी बाराबंकी से करीब 50 किमी दूर एक गांव में उसकी नज़र उस लाश पर पड़ी जिसकी हत्या के जुर्म में वो जेल में सज़ा काट रहा था. और फिलहाल ज़मानत पर बाहर था. मगर हैरानी तो तब हुई जब उसने देखा कि वो लाश ना सिर्फ चल फिर रही है. बल्कि बातचीत भी कर रही है. और उस लाश के हाथ में 3 महीने का एक बच्चा भी है.
गांव में दिखी चलती फिरती लाश
अनिल अपनी नंगी आंखों से जो देख रहा था. उसे उसपर यकीन ही नहीं हो रहा था. हैरानगी में उसने उस चलती फिरती लाश का पीछा करने का फैसला किया. पता चला कि वो लाश उसी गांव के एक घर में रहती है. ये चलती फिरती लाश किसी और की नहीं. बल्कि नेहा की थी. जिसे कानूनी तौर पर मरे हुए करीब एक साल होने वाला था.
343 दिन बाद भी लाश ज़िंदा थी!
अनिल ने नेहा का पीछा किया और उसके आगे पीछे की तमाम कहानी खोज निकाली. तब पता चला कि जिस नेहा की किडनैपिंग और हत्या के आरोप में वो और राजू जेल में सज़ा काट रहे थे, वो तो दरअसल मरी ही नहीं थी. बल्कि 6 मार्च 2018 को वो अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी. जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली. अब उनका 6 महीने का एक बच्चा भी है.
पुरानी रंजिश के चलते रची थी साजिश
अब सवाल ये था कि अगर नेहा जिंदा थी तो उसके घर वालों ने उसे मुर्दा कैसे मान लिया. लाश कैसे पहचान ली. और सबसे बड़ा सवाल जिंदा नेहा के कत्ल का इल्जाम अनिल और राजू पर ही क्यों लगाया गया? दरअसल, पुरानी रंजिश के चलते नेहा के घरवालों ने आनन फानन में बरामद की गई लड़की की लाश का अंतिम संस्कार किया और रंजिश का बदला लेने के लिए अनिल और राजू को इस मामले में फंसा दिया. अब पुलिस मामले की नए सिरे से जांच कर रही है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. साथ ही पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जिस लड़की को नेहा मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, वो कौन थी.