पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ, कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रोक लगाने की मांग
उत्तरप्रदेश। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया है।
गाजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने के लिए यह कर रही है। याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अयोध्या में 22 जनवरी को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। वहां पर निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की जाएगी और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं, जो कि गलत है। याची ने अपनी जनहित याचिका में इसके लिए कई आधार बताए हैं।
याची की ओर से कहा गया है कि यह प्राणप्रतिष्ठा गलत है, क्योंकि सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है। दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। 25 जनवरी को पूर्णिमा है। पूर्णिमा तक कोई धार्मिक आयोजन नहीं होते हैं। तीसरा, मंदिर अभी निर्माणाधीन है। अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण मंदिर में होती है। इसके अलावा पीएम और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ है क्योंकि देश का संविधान भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है।
पीएम और सीएम के ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने से देश के भाईचारे की भावना को झटका लगेगा, जो कि सही नहीं है। याची अधिवक्ता अनिल कुमार बिंद ने बताया कि पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका मंगलवार को दाखिल हो गई है। कोशिश की जाएगी कि उस पर हाईकोर्ट जल्दी सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर ले।