नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है। ‘मोदी सरनेम’ को लेकर की गई विवादित टिप्पणी मामले में राहुल को सूरत की एक अदालत ने दोषी ठहराया था जिसके चलते उनकी सदस्यता चली गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाया, जिससे राहुल की सदस्यता फिर से बहाल हो गई।
अदालत ने याचिका को आधारहीन करार देते हुए याचिकाकर्ता अशोक पांडे पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। इससे पहले पांडे पर लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाली को चुनौती देने के लिए 1 लाख रुपए का हर्जाना लगा था। पांडे का कहना है कि जब तक कोई ऊपर की अदालत में निर्दोष साबित न हो जाए, तब तक उसे सदन में वापस नहीं लिया जाना चाहिए।
क्या है मानहानि मामला
राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान कहा, ‘सभी चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों होते हैं?’ राहुल के इस बयान पर काफी विवाद मचा और फिर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। इसके बाद पिछले साल 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने राहुल को दोषी माना और उन्हें दो साल की सजा सुनाई।
नियमों के तहत अगले ही दिन राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई। इसके बाद कांग्रेस नेता ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ सूरत की अदालत के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी। हालांकि, सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी और उनकी चुनौती पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद राहुल गांधी 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।