नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच एक नया खुलासा हुआ है। भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की 10 सितंबर को मॉस्को में हुई बैठक से पहले लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच फायरिंग हुई थी। भारत और चीन के सैनिकों के बीच ये फायरिंग पेंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर हुई और यह चुशूल सेक्टर में हुई फायरिंग से ज्यादा गंभीर थी। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में इसका खुलासा किया गया है।
इस घटना से परिचित एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह घटना पेंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट पर फिंगर्स क्षेत्र पर हावी होने के दौरान हुई। अधिकारी के अनुसार, झील के उत्तरी छोर पर दोनों तरफ से 100 से 200 राउंड हवाई फायर हुए थे। यह घटना रिजलाइन पर हुई थी, जहां फिंगर-3 और फिंगर-4 के इलाके मिलते हैं।
भारत और चीन दोनों ने सात सितंबर को चुशूल उप-सेक्टर में गोलीबारी की घटना पर बयान जारी किए थे, जो मुकपारी हाइट्स नामक जगह पर हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि 45 वर्षों में यह पहली बार था कि एलएसी पर दोनों पक्षों की तरफ से गोलीबारी की गई। हालांकि, अभी तक दोनों ही देशों की तरफ से पेंगोंग त्सो झील के किनारे हुए इस घटना को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। इसको लेकर माना जा रहा है कि ये चुशूल में हुई गोलीबारी की घटना से अधिक बड़ी थी।