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पूर्व मुख्यम़़ंत्री के प्रमुख सचिव की पत्नी यास्मीन के खिलाफ जांच पर रोक नहीं : हाईकोर्ट

विभागीय मामलों में दंडात्मक कार्रवाई पर जारी रहेगी रोक

रायपुर । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) डॉ रमन सिंह के प्रमुख सचिव (Principal Secretary) अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ एसीबी की जांच पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई गई है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के प्रमुख सचिव अमन सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह पर होने वाली विभागीय मामलों में दंडात्मक कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी। यह आदेश फैसला हाईकोर्ट बिलासपुर (High Court) में न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

क्या है पूरा मामला

दरअसल पूर्व की रमन सरकार में सबसे ताकतवर अधिकारी रहे अमन कुमार सिंह की पत्नी यास्मीन सिंह की संविदा नियुक्ति ज्यादा भुगतान करने जैसे तमाम मामलों की राज्य शासन ने जांच के आदेश दिए थे। छत्तीसगढ शासन ( Government of Chhattisgarh) के इसी आदेश को यास्मीन सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने 16 जनवरी 2020 को सुनवाई करते हुए फौरी राहत दी थी। उच्च न्यायालय ने जांच आदेश पर स्टे देते हुए इसकी सुनवाई 10 फरवरी को मुकर्रर की थी।

सुनवाई में क्या हुआ आज

आज इसी मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने आज सरकार का जवाब आने के बाद यह आदेश दिया। इस आदेश में कहा गया है कि यास्मीन सिंह के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। यास्मीन सिंह के वकील ने कोर्ट में जांच किए जाने का विरोध किया। इस पर कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि जांच एजेंसी पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। जांच की दिशा एजेंसी तय करेगी।

राज्य शासन को दी गई थीं ये शिकायतें:

राज्य शासन को दी गई शिकायत में पत्नी यास्मीन सिंह की पीएचई विभाग में की गई नियुक्ति पर भी सवाल उठाया गया था। शिकायत पत्र में कहा गया था कि प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए यास्मीन सिंह की नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति के दौरान 35 हजार रुपए मानदेय तय किया गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया। वह 14 सालों तक संविदा अधिकारी के रूप में कार्यरत थी। आरोप यह भी लगाया गया है कि सरकार के विभिन्न आयोजनों में नृत्य प्रस्तुति के लिए उन्हें दिया जाने वाला मानदेय छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कलाकारों को मिलने वाले मानदेय से कहीं ज्यादा होता था। बड़े कार्यक्रमों में उनको ही बुलाया जाता था। इसके अलावा उनको इन कार्यक्रमों के लिए राज्य शासन मोटी रकम का भुगतान किया करता था।

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