रोमी सिद्दीकी/अम्बिकापुर। उत्तरीय छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण शक्ति पीठों में एक सरगुजा जिले की आराध्य देवी मां महामाया मंदिर की भव्यता किसी से छिपी नहीं है। सैकड़ों वर्ष पुराने इस मंदिर में कई ऐसे रोचक तथ्य हैं जो आज भी मनुष्य को अध्यात्म की ओर जोड़ देती है। वर्षों से इस मंदिर के आसपास सभी धर्म के लोग मिलजुलकर रहते आ रहे हैं। ऐसे में जब नवरात्र व रमजान का पावन पर्व एक साथ चल रहा है तब अम्बिकापुर के 7 मुस्लिम पार्षदों ने कौमी एकता की मिसाल पेश की है। ऐसे में अम्बिकापुर नगर निगम के सात मुस्लिम पार्षदों ने रमजान के पाक महीने में सरगुजा की आराध्य देवी मां महामाया का प्रवेश द्वार बनाने की पहल की है। जिसकी प्रशंसा आज हर कोई कर रहा है।
श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व नगर निगम में एमआईसी मेम्बर शफी अहमद की पहल पर 7 पार्षदों ने अपने मद की राशि का उपयोग कर मां महामाया का प्रवेश द्वार बनवाने की पहल की है। नगर निगम आयुक्त को संयुक्त हस्ताक्षर वाला पत्र भी सौंप दिया है। मां महामाया के मंदिर का भव्य स्वागत द्वार अब्दुल हमीद सद्भावना चौक पर बनाया जाएगा।इसके लिए कांग्रेस पक्ष के अल्पसंख्यक पार्षदों ने पार्षद निधि से एक एक लाख रुपए देने की घोषणा की है। स्वागत द्वार बेहद भव्य और कलात्मक होगा। राज्य श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष और नगर निगम निर्माण विभाग के वरिष्ठ एमआईसी सदस्य शफी अहमद की पहल पर अल्पसंख्यक पार्षदों मेराज अंसारी, शमा कलीम, रूही गजाला, नुजहत फातिमा, फिरदौस हसन और फौजिया नाज ने पार्षद निधि से एक एक लाख रुपये देने की सहमति जताई है।
इस बारे में श्रम मंडल अध्यक्ष शफी अहमद ने कहा कि मां महामाया का मंदिर सरगुजा की आस्था का केंद्र है। महामाया मंदिर के आसपास के वार्डो से सभी पार्षद हैं। ऐसे में हम सबकी जिम्मदारी है कि मंदिर की भव्यता बनाने और बढाने की दिशा में प्रयास करें।