श्रद्धा,भक्ति और उत्साह के साथ संपन्न हुई महावीर पूजा
मछही, बिहार
हर साल माघ पूर्णिमा के पहले आने वाले मंगलवार या शनिवार को मछही गाँव में मनाएं जाने वाला महावीर पूजा इस साल भी पूरे श्रद्घा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। इस साल संयोग से पूर्णिमा के दिन ही मंगलवार आया इसलिए इस साल पूजा मंगलवार को ही सम्पन हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दूर-दूर से आए हुए श्रद्घालूओं नें भक्तिमय माहौल में हनुमान जी की पूजा अर्चना और ध्वज चढ़ा कर अपने और अपने परिवारजनों के सुख-समृद्धि की कामना की।
वर्षों से चली आ रही है पूजा और ध्वजा चढ़ाने की परंपरा
मछही महावीर स्थान पर हरेक साल महावीर पूजा की परम्परा वर्षों पुरानी है। लोग पूरी श्रद्घा के साथ कई पीढियों से इस परंपरा का निर्वहन करते चले आ रहें है। इस अवसर पर लोग हनुमानजी को ध्वजा भी चढाते है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी के पास शुद्ध मन से जो कामना की जाती है वह जरुर पूरा होता है और मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्घालू महावीर स्थान पर आकर पूजा के अवसर पर ध्वजा चढ़ातें है।
इस स्थान की महिमा का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरेक साल पूजा के अवसर पर लाखों लोग यहाँ ध्वजा चढ़ाने, मूंडन संस्कार करने और सत्यनारायण भगवान की कथा करने आते है। महावीर पूजा की शुरुआत अष्टयाम से शुरू होता है जिसमें अखंड रुप से हनुमान जी के ईश्वर सीता-राम नाम का जाप किया जाता है। इस अवसर पर विशाल मेला भी लगता है जिसे महावीर मेला के नाम से जानते है।
ईश्वर के साथ प्रकृति पूजन का अद्भुत संगम है यह पूजा
महावीर पूजा जिस स्थान पर संपन्न होता है उस स्थान को महवीर स्थान के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर बहुत ही प्राचीन और विशाल बरगद का पेड़ है जिसे लोग हनुमान जी का स्थान मानते है और श्रद्घा के साथ पूजा अर्चना करते है।
भारतीय परंपरा और पूजा पद्यति में ईश्वर पूजा के साथ प्रकृति पूजा की जो परम्परा विद्यमान है उसका साक्षात उदाहरण मछही के महावीर पूजा में देखने को मिलता है।