
आज देश भर में विजयादशमी का त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे देश में दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। दशहरे के पर्व को आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा के पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें भगवान राम द्वारा रावण का वध और मां दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर का अंत शामिल है। दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
दशहरा का दिन सबसे उत्तम माना गया है। लेकिन दशहरे के शाम का समय सबसे ज्यादा शुभ माना गया है और इस काल को विजय काल के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विजय काल में किसी भी काम को करने से उसमें विजय हासिल होती है। इस दौरान खरीदारी करना व नए काम की शुरुआत करना अतिलाभकारी माना गया है। दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बेहद शुभ माना गया है।
रावण दहन का शुभ समय
दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। इस दिन रावण के पुतला का दहन करने का शुभ समय सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है। रावण दहन के बाद उसकी राख को घर लाना अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है।
रावण दहन का विजय मुहूर्त
दोपहर 02:07 से 02:54 तक इसका मुहूर्त है। जिसकी अवधि 47 मिनट्स की है। अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:20 से 03:41 तक है। इसकी अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स की है।