
रायपुर। झारखंड में आतंक का दूसरा नाम बन चुके कुख्यात गैंगस्टर अमन साव का अंत हो गया है। पुलिस ने पलामू में हए एक एनकाउंटर में मार गिराया है। अमन साहू को लॉरेंस बिश्नोई के नाम से जाना जाने लगा था। जानकारी के मुताबिक रांची पुलिस अमन साव को रायपुर जेल से झारखंड ला रही थी। इसी दौरान रामगढ़ के पास अमन गैंग के सदस्यों ने पुलिस काफिले पर बम से हमला कर दिया। हमले के दौरान अमन साव ने मौके का फायदा उठाकर पुलिस की इंसास राइफल लूटकर भागने लगा। पुलिस ने तुरंत उसका पीछा किया लेकिन अपराधियों की ओर से फायरिंग होतो देख पुलिस ने भी जवाबी कार्यवाही में गोली चलाई जिससे अमन की मौत हो गई।
गैंगस्टर अमन का लॉरेंस बिश्नोई से था कनेक्शन
पिछले कुछ सालों से अमन लॉरेंस बिश्नोई का करीबी बन गया था। बताया जाता है कि बिश्नोई को वह शूटर्स और गुर्गे उपलब्ध कराता था। बदले में उसे लॉरेंस गैंग से आधुनिक हथियार मिलता था। इसी तरह दोनों की पक्की दोस्ती हो गई। लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात के साबरमती जेल में बंद है।
अमन कैसे बना गैंगस्टर
रांची के छोटे से गांव मतबे का रहने वाला था अमन साहू। 12वीं पास करने के बाद उसने एक मोबाइल की दुकान खोली थी। इसी दौरान वह कुछ अपराधियों के संपर्क में आ गया और अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होता चला गया और देखते ही देखते गैंगस्टर अमन साहू के नाम से जाना जाने लगा। अमन के खिलाफ झारखंड सहित देशभर में 100 से अधिक मामले दर्ज थे। अमन का गिरोह रांची, रामगढ़, चतरा, धनबाद, हजारीबाग, पलामू, लातेहार और बोकारो में रंगदारी मांगने के लिए कुख्यात था। गिरोह कोल माइनिंग कंपनियों, कोयला व्यवसायियों, ट्रांसपोर्टरों, बिल्डरों, ठेकेदारों और कारोबारियों को धमकी देकर रंगदारी वसूलता था।
इस गुंडागर्दी में अमन के खिलाफ पिछले 6 महीनों में रंगदारी मांगने और गोली चलाने के आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हुए थे। अमन गिरोह का खौफ इस कदर हो चुका था कि लोग खासकर कारोबारी से निकलने में घबराते थे।