छत्तीसगढ़

यस बैंक घोटाले के आरोपियोंं के खिलाफ जारी करें लुक आउट नोटिस, हाईकोर्ट ने शासन से 16 अक्टूबर तक मांगी रिपोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित यस बैंक घोटाले के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए लुक आउट नोटिस जारी करने के लिए कहा है। साथ ही राज्य शासन को 16 अक्टूबर तक केस की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी और फर्जीवाड़े में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई के बाद यह आदेश दिया गया है।

याचिकाकर्ता प्रभुनाथ मिश्रा के अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी और बादशाह प्रसाद सिंह ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस के सामने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि बीते तीन-चार साल से एफआइआर दर्ज किए जाने के बाद आज तक किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई है।

कोर्ट के समक्ष मुख्य सचिव द्वारा पेश की गई जानकारी से यह साफ हो रहा है। मुख्य सचिव के शपथ पत्र में बताया गया कि कुछ दस्तावेज ऐसे हैं, जिसे न्यायालय में अंतिम रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन, न्यायालय में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। दोनों ही आरोपी हितेश चौबे और अनिमेष सिंह फरार हैं। खाते से खरीदी गई बड़ी गाड़ियों और अन्य सामग्री की अब तक कोई जब्ती नहीं की गई है।

इससे पहले मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने जांच रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के साथ मुख्य सचिव ने शपथ पत्र में पूरी जानकारी दी है। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने बताया कि फिलहाल पुलिस की जांच चल रही है। अगर आर्थिक अपराध शाखा को यह मामला सौंप दिया जाए तो बेहतर होगा।

इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस जांच और आर्थिक अपराध शाखा की जांच में कोई फर्क नहीं है। दोनों ही जांच में पुलिस अधिकारियों की प्रमुख भूमिका होती है। लिहाजा, अनावश्यक मामले को खींचने के बजाए 16 अक्टूबर तक जो भी जांच पुलिस द्वारा होती है, उसकी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। कोर्ट ने दोनों आरोपी अनिमेष सिंह और हितेश चौबे के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने के लिए भी निर्देशित किया है।

याचिकाकर्ता का कोई लेनादेना नहीं, इसलिए खारिज की जाए याचिका

महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने प्रभुनाथ मिश्रा की याचिका को खारिज करने की बात कही। उनका कहना था कि इस मामले से मिश्रा का कोई लेनादेना नहीं है। फिर भी उनके द्वारा न्यायालय में ऐसी शिकायत करना समझ के परे है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अपराध घटित हुआ है। बैंक में खाता खोलकर उस खाते से करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है, जिसे महाधिवक्ता भी स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में याचिका खारिज नहीं की जा सकती।

दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग

याचिकाकर्ता प्रभुनाथ मिश्रा का कहना है कि हमारा मुख्य उद्देश्य घटित हुए आर्थिक अपराध की जांच करवाना है। यस बैंक में फर्जी खाते से करोड़ों रुपये का लेनदेन हो रहा था, वह भी कर्मचारी के नाम पर। शिकायत के बाद भी आयकर विभाग की ओर कार्रवाई नहीं की गई है। एफआइआर दर्ज करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। खाते से करोड़ों रुपये का लेनदेन विदेश से हुआ है। लाखों रुपए एक बार में जमा किए गए हैं और निकाले गए हैं।

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