ISRO ने फिर रचा इतिहास, नेविगेशन सैटेलाइट NAVIC किया लॉन्च, जानिए इसकी खासियत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 मई यानी आज श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से नेविगेशन सैटेलाइट को सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट का नाम है NVS-01, जिसे GSLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया।
इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि फिलहाल हम सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स के सहारे काम चला रहे थे। लेकिन उनमें से 4 ही काम कर रहे हैं। तीन खराब हो चुके हैं। अगर हम तीनों को बदलते तब तक ये चार भी बेकार हो जाते। इसलिए हमने पांच नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स एनवीएस को छोड़ने की तैयारी की।
जैसे पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सिस्टम (IRNSS) के तहत सात NavIC सैटेलाइट छोड़े गए थे। ये नक्षत्र की तरह काम कर रहे थे। इनके जरिए ही भारत में नेविगेशन सर्विसेज मिल रही थी। लेकिन सीमित दायरे में। इनका इस्तेमाल सेना, विमान सेवाएं आदि ही कर रहे थे। पर नाविक के सात में से तीन सैटेलाइट काम करना बंद कर चुके थे। इसलिए इसरो ने पांच नए सैटेलाइट्स का नक्षत्र बनाने का जिम्मा उठाया।
NVS-01 सैटेलाइट को धरती की जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में 36,568 किलोमीटर ऊपर तैनात किया जाएगा। ये सैटेलाइट धरती के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। लॉन्च के बाद करीब 18 मिनट में जीएसएलवी रॉकेट धरती से 251.52 किलोमीटर ऊपर सैटेलाइट को छोड़ देगा। इसके बाद वह अपनी कक्षा तक की यात्रा खुद करेगा। अपने थ्रस्ट्रर्स की बदौलत वह निर्धारित कक्षा में पहुंच जाएगा।
420 टन वजनी 51 मीटर ऊंचा है GLSV-F12
जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट 51.7 मीटर ऊंचा रॉकेट है। जिसका वजन करीब 420 टन है। इसमें तीन स्टेज हैं। वहीं NVS-01 सैटेलाइट का वजन 2232 किलोग्राम है। यह सैटेलाइट भारत और उसकी सीमाओं के चारों तरफ 1500 किलोमीटर तक नेविगेशन सेवाएं देगा। यह किसी भी स्थान की एक्यूरेट रीयल टाइम पोजिशनिंग बताएगा। यह सैटेलाइट मुख्य रूप से एल-1 बैंड के लिए सेवाएं देगा। लेकिन इसमें एल-5 और एस बैंड के पेलोड्स भी लगाए गए हैं।