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किलेपाल-दरभा के आश्रमों में 100 बच्चाें को ऐसा मलेरिया जिसमें लक्षण नहीं दिखते

जगदलपुर. बस्तर जिले में मलेरिया को रोकने अब तक जितने भी उपाय किए गए वे सफल नहीं हो रहे हैं। कुछ ही दिनाें में मानसून अाने वाला है जिसके बाद मलेरिया और भी तेजी से फैलता है।

इसी बीच दरभा और बास्तानार ब्लाक के किलेपाल में संचालित आश्रम के 100 बच्चों में असिंप्टोमेटिक मलेरिया के लक्षण मिलने से स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जिन बच्चों में यह लक्षण मिले हैं उनमें से अधिकतर बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के बीच है। जिला टीकाकरण अधिकारी एसएस टीकाम ने कहा कि इस बीमारी में बच्चे मलेरिया से पीड़ित रहते हैं लेकिन उनमें मलेरिया के लक्षण दिखाई नहीं देते।

आरडी किट से इसकी जांच की गई तो पता चला कि आश्रम के बच्चे इस खतरनाक बीमारी से पीड़ित हैं। बीमारी की जानकारी नहीं होने से कई बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता देख कुछ बच्चों को केंद्र में भर्ती कर इलाज करवाया गया तो वहीं कई बच्चों को दवा देकर आश्रम अधीक्षकों व बच्चों के परिजनों को बीमारी की जानकारी व बचाव के उपाय बताए गए।

असिंप्टोमेटिक मलेरिया : इस बीमारी की समय रहते जांच नहीं हो पाती, जिससे मरीज गंभीर हालत में पहुंच जाता है. अबूझमाड़ में आदिवासियों में मलेरिया के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने कई जिलों के अंदरूनी इलाकों में सर्वे की शुरुआत करवाई और इन्हीं सर्वे में पता चला कि बस्तर जिले के दरभा और किलेपाल के कुछ आश्रम में रहने वाले बच्चों में असिम्प्टोमेटिक मलेरिया के लक्षण दिखाई दिए थे।

अचानक इस बीमारी से पीड़ित मिले बच्चों ने सकते में डाला 

 मलेरिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल मार्च से लेकर मई तक किलेपाल और दरभा ब्लाक में संचालित आश्रमों व गांव में रहने वाले 5 हजार बच्चों की जांच की गई थी। जिसमें से 100 बच्चे असिंप्टोमेटिक मलेरिया से पीड़ित मिले थे। असिंप्टोमेटिक मलेरिया से पीड़ित बच्चों में सामान्य तौर पर मलेरिया के लक्षण देखने में नहीं आते हैं। किलेपाल और दरभा में हुई जांच में भी बच्चों में ये लक्षण नजर नहीं आए थे। 

इधर, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हो रहीं मलेरिया की शिकार : बस्तर जिले में मलेरिया से पीड़ितों में पुरूषों की संख्या ज्यादा होती थी। लेकिन इस साल महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा पाई गई है। अचानक महिलाओं की संख्या ज्यादा होने को लेकर जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बस्तर जिले में अधिकतर महिलाएं एनीमिक हैं जिसके चलते वे मलेरिया की शिकार हो रही हैं। समय पर उपचार नहीं कराने के चलते गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो सकती है।

दो साल में 30 की हो चुकी है मौत : 

  • मलेरिया के चलते जिले में पिछले दो सालों में 30 लोगों की मौत हो चुकी है। 2018-19 इस बीमारी की चपेट में आने से 8 लोगों ने दम तोड़ दिया। 
  • इस साल तोकापाल और बकावंड ब्लाक में सबसे अधिक 2-2 मौतें हुई हैं। वर्ष 2019-20 में अब तक एक की मौत हो चुकी है। 

चार माह में दो हजार मरीज मिले एक की मौत 

जिले में एक जून से मलेरिया निरोधक माह की शुरुआत हो गई है। इस माह के दौरान मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए जनजागृति अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा मच्छर नियंत्रण एवं मच्छरदानी के प्रयोग का व्यक्तिगत बढ़ावा देने के लिए भी जागृति लाने का कार्य किया जाएगा। मलेरिया निरोधक माह के संबंध में  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देंवेद्र नाग ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मलेरिया माह के आयोजन के दौरान मात्र मलेरिया नियंत्रण के उपाय ही नहीं किए जाएंगे , बल्कि मच्छरजनित अन्य बीमारियों जैसे- फाइलेरिया, डेंगू, चिकन गुनिया पर भी नियंत्रण किया जाएगा। मलेरिया से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग दो महीने में जिले में 415 गांवों में दवा का छिड़काव करवा रहा है।

इसमें भी दो प्रकार की दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है।  मलेरिया विभाग के अधिकारियों की मानें ते जगदलपुर में जहां विभाग डीडीटी तो वहीं अन्य 6 ब्लाकों में अल्फा सायफर मेथिन दवा शामिल है। जब अलग-अलग दवाओं के छिड़काव को लेकर अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जगदलपुर ब्लाक में निर्धारित संख्या में मान से अब तक मेडिकेटेड मच्छरदानियों को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बांटा गया है।

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