भूपेश है तो भ्रष्टाचारियों को बचने का भरोसा है, भ्रष्टाचार में पूरी सरकार की मिलीभगत है – अरुण साव
रायपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अरुण साव ने भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कांग्रेस की इस सरकार ने सबसे अधिक भरोसे का ही कत्ल किया है खबरों के अनुसार पिछले दिनों ईडी ने प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्नोई समेत सीएम बघेल के करीबी अफसरों पर कारवाई करने को कहा है. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि गंभीर आरोपों में जेल में बंद सौम्या चौरसिया अभी भी मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव बनी हुई हैं।
साव ने कहा आप सीएमओ छत्तीसगढ़ की वेबसाईट पर देखें, इसका स्क्रीन शॉट है मेरे पास जिसमें आज भी सौम्या उप सचिव है, जबकि शासकीय सूत्रों के हवाले से यह समाचार महीनों पहले प्रकाशित करा दिया गया था कि सौम्या और विश्नोई समेत सभी आरोपियों को निलंबित कर दिया गया है। आज ईडी को कारवाई के लिए पत्र लिखना पड़ रहा है, लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है। कि भूपेश जी आरोपियों को निलंबित करने का साहस नहीं कर पा रहे हैं, ऐसी क्या राजदारी है जिसके खुल जाने का डर है सीएम को यह स्पष्ट करना चाहिए।
आपके माध्यम से मैं कांग्रेस सरकार विशेष कर मुख्यमंत्री बघेल जी से पूछना चाहता हूं कि वे स्पष्ट करे कि सौम्या चौरसिया को निलंबित किया गया है या वह आज भी अपने पद पर बनी हुई है जैसा कि सीएमओ के पोर्टल में दर्ज है? अगर वह आज भी पद पर बनी हुई हैं, और शासकीय सूत्रों से यह छप रहा था कि आरोपियों को सस्पेंड कर दिया गया है तो यह सीधे तौर पर ब्रीच ऑफ ट्रस्ट’ है।कांग्रेस सरकार ने ‘ट्रस्ट डेफिसिट पैदा किया है मुख्यमंत्री ने विश्वासघात और संविधान के लिए गए ‘शपथ’ का उल्लंघन किया है।
हम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग करते हैं कि वे बताएं कि ईडी/आईटी/सीबीआई की कार्यवाही से जेल में बंद आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अभी तक क्या-क्या कारवाई की है उन्होंने और अगर नहीं किया है कारवाई तो क्यों नहीं किया है?
बात-बात पर समानांतर जांच बिठाने, बार-बार नियम विरुद्ध एसआईटी आदि का गठन करने, न्यायिक आयोग आदि का गठन करते रहने वाले बघेल जी से मैं यह पूछना चाहता हूं कि देश भर में छत्तीसगढ़ की बदनामी कराने वाले इन मामलों में क्या क्या कारवाई की, कितने एसआईटी गठन किये हैं कांग्रेस सरकार ने समूचे प्रदेश के संसाधनों की लूट करने वालों को प्रोत्साहित करने और उन्हें संरक्षण देने वाले भूपेश बघेल को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।