BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ग्राम पंचायत के अफसरों की गड़बड़ी उजागर हो गई है। राज्य ने मछली पालन को कृषि का दर्जा देने के साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी किए है। इसके तहत पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति को ही मछली पालन के लिए तालाब लीज पर दिया जाना है ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत के अफसरों ने जमकर गड़बड़ी की है। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के सिंगल बेंच में हुई।
बता दें, मामला बिलासपुर जिले के जनपद पंचायत बिल्हा का है। जनपद पंचायत बिल्हा के अफसरों ने शासन के नियमों को गलत बताते हुए अपंजीकृत समूह को मछली पालन के लिए एक तालाब को 10 साल के लिए लीज पर दे दिया है। मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है।
बिलासपुर जिले के ग्राम बरतोरी तहसील बिल्हा निवासी भूषण यादव ने अधिवक्ता अब्दुल बहाव खान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता जय भवानी मछुआ सहकारी समिति मर्यादित बरतोरी का अध्यक्ष है और उनकी जय भवानी मछुआ सहकारी समिति नियमानुरसा पंजीकृत समिति है। ग्राम पंचायत बरतोरी में स्थित बंधवा तालाब को 10 साल के लिए लीज पर लेने के संबंध में समिति ने 11 मार्च 2024 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बिल्हा में आवेदन पत्र जमा किया था।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी है कि उसकी समिति का पंजीयन तिथि से ही कार्यशील है। वर्तमान में उसके कुल 27 सदस्य हहै। जिनका मुख्य व्यवसाय मछली पालन ही है। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि समिति के द्वारा उक्त तालाब को लीज पर लेने के लिए आवेदन निर्धारित तिथि के पूर्व ही दिया गया था।
परंतु जनपद पंचायत बिल्हा ने आवेदन पत्र को विलंब से प्राप्त होना मानकर उस पर विचार ही नहीं किया। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए सचिव मत्स्य विभाग सहिहत सीईओ जनपद पंचायत बिल्हा सरपंच ग्राम पंचायत बरतोरी एवं बजरंग मछुआ समूह ग्राम बरतोरी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए निर्देश दिए है।
नियमों को रखा ताक पर
ग्राम पंचायत बरतोरी में स्थित बंधवा तालाब को 10 साल के लिए लीज पर अपंजीकृत संस्था बजरंग मछुआ समूह के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर दिया गया। उक्त मछुआ समूह अपंजीकृत समिति द्वारा पेश आवेदन पत्र पर विचार ही नहीं किया गया।