इंफ्लूएंजा वायरस बीते कई हफ्तों से भारत के कई राज्यों में बढ़ने लगा है। लगातार मरीजों में संक्रमण बढ़ने के बीच अब H3N2 वायरस से दो मरीजों की मौत की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि हरियाणा और कर्नाटक में H3N2 से एक-एक मरीज की मौत हुई है। देश में अभी तक H3N2 वायरस के 90 मामले सामने आए हैं। वहीं H1N1, जिसे पहले स्वाइन फ्लू भी कहा जाता था, उसके भी 8 केस सामने आए हैं।
बुजुर्गों और बच्चों को शिकार बना रहे इस बुखार को ठीक होने में लंबा वक्त लग रहा है। वायरस के टेस्ट के लिए आ रहे 10 में से 6 सैंपल में H3N2 POSITIVE मिल रहे हैं। साधारण फ्लू जहां दो से तीन दिनों में ठीक हो जाता है, वहीं H3N2 लंबा समय ले रहा है। H3N2 इन्फ्लुएंजा ए वायरस का एक सबटाइप है, जो पहले कई इन्फ्लूएंजा के प्रकोपों का कारण रहा है। एडिनोवायरस के मामले भी सामने आए हैं, जो कुछ-कुछ H3N2 और कोरोना जैसा ही है। ये भी श्वास नली पर हमला कर रहा है। कोरोना की ही तरह तीनों वायरस upper respiratory infection यानी सांस की नली को प्रभावित करते हैं जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और खांसी से मरीज परेशान रहते हैं।
क्या है H3N2 का इलाज?
डॉक्टर्स इस बार वायरल अटैक के पीछे सर्दी से अचानक आई गर्मी यानी मौसम के तेजी से बदलने को भी एक बड़ा कारण मान रहे हैं। कोरोना की तरह ही इस फ्लू के वायरस खांसने छींकने या बीमार व्यक्ति के सलाइवा के संपर्क मे आने से फैल सकते हैं।
ऐसे में डॉक्टरों की ओर से भीड़ वाली जगहों पर मास्क लगाकर जाने, घर में कोई बीमार हो तो मरीज के साथ साथ खुद भी मास्क लगाने, बीमार व्यक्ति की चीजों को छूने से बचने और हो सके तो मरीज को 5 से 7 दिन आइसोलेशन में रखने की सलाह दी जा रही है।
साधारण मामलों में आराम करने, बुखार के लिए पैरासिटामोल लेने, गर्म तरल पदार्थ पीने, खांसी से राहत के लिए कफ सिरप या अदरक और शहद जैसे नुस्खे भी राहत दे सकते हैं। हाथों को बार-बार साबुन से धोएं। सैनिटाइजर का प्रयोग भी कर सकते हैं और बुखार के लिए पैरासिटामोल लें।