नई दिल्ली। दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में फैल चुके मंकीपॉक्स वायरस का भारत में भी पहला मरीज मिला है। केरल के कोल्लम जिले से मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। मरीज हाल ही में UAE से लौटा था।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर 35 साल के युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। टेस्ट में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई। फिलहाल मरीज का इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि विदेश में ये शख्स इस संक्रमण के एक मरीज के करीबी संपर्क में रहा था।
मंकीपॉक्स का पहला केस कन्फर्म होते ही केंद्र सरकार ने हाई लेवल टीम केरल भेज दी है। गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक एडवायजरी की भी जारी की। जरूरी दिशा-निर्देशों में मंकीपॉक्स रोग की निगरानी, रोग की पहचान और आइसोलेशन पर जोर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि सभी संदिग्धों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग जरूर होनी चाहिए।
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला) है। यह संक्रमण बंदर के अलावा चूहा, गिलहरी और डॉर्मिस जैसे जानवरों में भी मिलता है। मंकीपॉक्स बीमारी ऐसे वायरस के कारण होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट के नजदीक मध्य और पश्चिम अफ्रीका में पाए जाते हैं।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है?
मंकीपॉक्स के शुरुआती दिनों में सबसे पहले फीवर देखने को मिलता है। इसके बाद स्किन में रैशेज पड़ना शुरू हो जाते हैं। जैसे ही स्किन में रैशेज हो, वैसे ही मरीज को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा बॉडी पेन, थकान, गले में कफ और शरीर/गले में दाने होने लगते हैं।
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।