सूरजपुर। जिले के सिलफिली गांव में बुधवार को किसानों (Farmer) ने अपना धान ( paddy) सड़क पर फेंक कर आग लगा दी। यही नहीं किसानों अपने अपने धान खरीदी के टोकन (token) को भी फेंक दिया। किसानों ने वहां जमकर नारेबाजी भी की। राज्य शासन का कहना है कि धान खरीदी 20 फरवरी तक होगी। तो वहीं सिलफिली समिति के प्रबंधक पिछले 3 दिनों से किसानों को ये कह कर वापस लौटा दे रहे हैं कि उनको धान खरीदने से मना किया गया। इसके कारण ही किसानों में आक्रोश व्याप्त है।
प्रदर्शन की खबर मिलते ही पहुंचा प्रशासन:
केशकाल में किसानों के प्रदर्शन के बाद हुए लाठी चार्ज की सियासी आंधी थमीं भी नहीं थी कि, सिलफिली कें भी किसानों ने तूफान खड़ा कर दिया। समिति के प्रबंधक (manager) की भर्राशाही से परेशान किसानों ने अपना धान सड़क पर फेंक दिया। उसके बाद खरीदी टोकन भी फेंककर उसमें आग लगा दी। इसके बाद इन लोगों ने सड़क पर जमकर नारेबाजी की। प्रशासन (administration, ) के लोगों ने किसानों को समझाइश दी। तब कहीं जाकर किसानों का गुस्सा शांत हुआ।
मीडिया के सामने प्रबंधक ने कहा खरीदेंगे दाना दाना धान:
जो समिति प्रबंधक पिछले 3 दिनों से किसानों को वापस भेज रहा था। मीडिया को सामने देखते ही उसके भी बोल बदल गए। उसने कहा कि वो किसानों का दाना दाना धान खरीदेगा।
3 लाख बारदानों की कमीं: कौशिक
छत्तीसगढ की विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition) धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार जानबूझकर बारदानों का कृत्रिम संकट पैदा कर रही है। इसके पीछे किसानों का धान न खरीदने की मंशा साफ साफ दिखाई दे रही है। राज्य में 3 लाख बारदानों की कमीं हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था मगर कोई समझे तब न भाजपा किसानों के साथ खड़ी है। हम किसानों के साथ पहले भी थे आज भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे।