नई दिल्ली। चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का आज निधन हो गया। पर्यावरणविद् बहुगुणा पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया था। यहां उनका इलाज चल रहा था, लेकिन शुक्रवार की दोपहर 95 वर्ष की उम्र में उन्होंने अस्पताल में आखिरी सांस ली है।
पर्यावरणविद् बहुगुणा के निधन की खबर मिलते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री, राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन समेत अन्य लोगों ने दुख जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की सदियों पुरानी परंपरा को जोड़े रखा। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक प्रकट किया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाले सुंदरलाल बहुगुणा ने 70 के दशक में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया। इसी दौरान चिपको आंदोलन की भी शुरुआथ की गई। उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में पेड़ों की कटाई व्यापक तौर से शुरू हुई, 1974 में बहुगुणा के नेतृत्व में कटाई का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ। इस विरोध में स्थानीय महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं, जिसके बाद पूरी दुनिया इसे चिपको आंदोलन के नाम से जानती है।