दुर्ग आईजी आर.एल. डांगी ने विद्यार्थियों ने नाम लिखा खुला खत, कहा- आप को कोई फेल नहीं कर सकता
दिनेश गुप्ता
दुर्ग। एग्जाम का समय आ चुका है और विद्यार्थी इस समय काफी तनाव महसूस करते हैं। माता-पिता का दबाव और पढाई की टेंशन में कई युवा यह दबाव सह नहीं पाते और खतरनाक कदम उठा लेते हैं। ऐसे में दुर्ग आईजी आर.एल. डांगी ने विद्यार्थियों के नाम खुला खत लिखा है ताकि वह तनाव न लें और एग्जाम को आसानी से दे सकें। आइए आपको उनका खुला खत पढ़ाते हैं-
मेरे युवा साथियों,
आप सबको जय हिन्द,जय भारत।
आशा करता हूं आप सब अच्छे होंगे। आपकी तैयारी भी अच्छी चल रही होगी। अगले दो माह परीक्षाओं के माह हैं और उसके अगले माह आप सबकी सफलता की कहानी सुनने व सुनाने का समय शुरू हो जाएगा। दोस्तों याद रखना आपका जन्म ही सफलता के लिए हुआ है। सफलता आपका अधिकार है बस उस अधिकार को पाने के लिए कुछ करने की, अपने आत्मविश्वास को जगाने की जरुरत है।
परीक्षा तो एक सीढी है जिसे हर कोई पार कर लेता है। आवश्यकता है अनुशासन की, संयम की और धैर्य की। परीक्षा के नाम से केवल आप ही नहीं बल्कि हर इंसान को डर लगता है। यह समय न केवल आपके लिए बल्कि अभिभावकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। आपकी तो केवल ज्ञान की परीक्षा है लेकिन अभिभावकों की समझदारी और धैर्य की परीक्षा है। परीक्षा के समय तनाव स्वाभाविक होता है। आप पर शिक्षकों का, माता-पिता का समाज का परोक्ष एवम् अपरोक्ष दबाव रहता है।
यह समय ऐसा समय होता है कि आपका स्वस्थ रहना भी जरूरी है
मैं जानता हूं आप मे से बहुत सारे तनाव को अपने पर हावी नहीं होने देते हैं लेकिन कुछ स्टूडेंट्स सदमे के शिकार हो जाते हैं जिन्हें यदि समय पर काउंसलिंग या साथ नहीं मिलता है तो वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं और कई बार अनुचित कदम भी उठा लेते हैं। जिससे परिवार पर पहाड़ टूटने जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए इस परीक्षा की घड़ी मे न केवल आपको को बल्कि अभिभावकों व शिक्षकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
परीक्षा पूर्ण होने तक घर से बाहर का खाना नहीं ही खाए तो बेहतर होगा
तनाव मे आने का मुख्य कारण होता है कि आपने समय प्रबंधन का सही पालन नहीं किया था। अब इससे बचने का उपाय यह है कि आज से ही अपनी स्टडी का सही प्लान कर लीजिये। किस सबजेक्ट को कितना समय देना है यह तय कर लें एवम उसके अनुसार उसका पालन करें। यह समय ऐसा समय होता है कि आपका स्वस्थ रहना भी जरूरी है इसलिए खान पान का बहुत ध्यान रखने की जरूरत है। परीक्षा पूर्ण होने तक घर से बाहर का खाना नहीं ही खाए तो बेहतर होगा। साथ ही घर मे भी खाना खाने का प्लान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पढने का प्लान। कोशिश करें परीक्षा समाप्ति तक सादा भोजन का ही सेवन करें। तला हुआ या चटपटा खाना खाने से बचें।
सब सबजेक्ट को उनकी महत्ता के अनुसार समय दें। पर्याप्त नींद भी बहुत जरूरी है। अच्छी नींद से शरीर की थकावट दूर हो जाती है एवम पढऩे की क्षमता बढ़ जाती है। समय पर सो जाने की आदत डालें। अपनी दिनचर्या को भी प्लान कर लीजिये। सुबह जल्दी उठकर बाहर की ताजा हवा का आनंद लेने की कोशिश कीजिए एवम सुबह की हल्की धूप में जरूर कम से कम 15 से 20 मिनट्स तक घूम कर आ जाएं। हल्का व्यायाम करने से शरीर मे चुस्ती रहती है आप लंबे समय तक बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। पढ़ाई के बीच मे थोड़ा दिमाग को विश्राम भी देना जरूरी है।
यह परीक्षा केवल एक कक्षा की परीक्षा हैं न कि जीवन की
परिवार के सदस्यों के साथ भी थोड़ा समय बिताना जरूरी है। इससे अकेलापन नहीं लगता है। इतना सब करने के बावजूद भी आपको कोई समस्या हो, पढ़ाई में मन नहीं लग रहा हो, डिप्रेशन जैसा लग रहा हो तो अपनी इस समस्या को मम्मी- पापा, भाई- बहन, मित्रों और शिक्षकों के साथ शेयर कीजिए। कोई न कोई रास्ता निकल ही आएगा। अपने को अकेला न समझें। यह परीक्षा केवल एक कक्षा की परीक्षा हैं न कि जीवन की । ऐसा कोई विरला ही इंसान होगा जो हमेशा हर परीक्षा में पास हुआ हो। किसी न किसी परीक्षा मे वो भी असफल रहा ही होगा।
परीक्षा प्रति वर्ष होती है लेकिन जीवन एक बार खो दिया तो दुबारा नहीं मिलेगा। इस समय आपको अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने की धैर्य की एवम् संयम की जरुरत है न कि बैचेन होने, निराश होने की। परीक्षा के समय अभिभावकों को भी सजग व सतर्क रहना चाहिए। इस समय बच्चों को आपके साथ की, आपके दो प्यार भरे शब्दों की जरूरत है। हमेशा नजर रखें कि बच्चे का व्यवहार मे अचानक बदलाव तो नहीं आ रहा। चिड़चिड़ापन ,कम खाना खाना, कम नींद की और सिर दर्द व माइग्रेन की शिकायत कर रहा है तो जरूर उसे गंभीरता से लिजिए। डॉक्टर से सलाह जरूर लिजिए। बच्चों का हौंसला बढ़ाते रहिये।
अपनी तरफ से बच्चों का हिम्मत व हौसला बढाये
शिक्षकों को भी सतर्क रहने तथा ऐसे बच्चों की पहचान करके काउंसलिंग करने एवम् अभिभावकों को सूचित करने की जरुरत है। अपनी तरफ से बच्चों का हिम्मत व हौसला बढाये। कभी भी हतोत्साहित न कीजिए। मनोबल बढाने वाली कहानियां बहुत कारगर रहतीं हैं। साथियों एक बार फिर दोहराना चाहता हूं कि आप सफल होने ही इस दुनिया में आए हो कोई भी आपको फेल नहीं कर सकता। इस वाक्य को बार बार दोहराते रहिए।परीक्षा कक्ष मे घुसते समय भी और प्रश्न पत्र को हल करने से शुरु करने से पहले भी।