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धान खरीदी में लेटलतीफी, एक नवंबर से शुरू नहीं होगी धान खरीदी… सरकार की धान खरीदने की नीयत नहीं- बीजेपी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष धान की खरीदी एक नवंबर से शुरू नहीं होगी। अभी तक इसकी तिथि तय नहीं हो पाई है. धान खरीदी के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक में इस वर्ष एक करोड़ 5 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन अब तक तारीख को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ की आखिर कब से धान खरीदी होगी।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने धान खरीदी में लेट को लेकर सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया है और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरकार की धान खरीदने की नीयत ही नहीं है। वो जानबूझ कर खरीदी में देरी कर रही हैं ताकि 2500 रुपए न देना पड़े।

वहीं बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी धान खरीदी के मुद्दे पर केवल राजनीति की है। केंद्र के दोहरे मापदंड के कारण छत्तीसगढ़ को परेशानी हो रही है। किसान कांग्रेस धान खरीदी में किसानों का सहयोग करेगी। इसके लिए जिला से लेकर ब्लॉक स्तर पर कार्यकारिणी का गठन और विस्तार किया जा रहा है।

वहीं धान खरीदी को लेकर दीवाली के बाद फिर से उप समिति की बैठक होगी। जिसमें धान के आवक की स्थिति को देखते हुए तारीख पर फैसला लिया जाएगा। सरकार का दावा है कि उनकी धान खरीदी को लेकर पूरी तैयारी है। प्रदेश में एक नवंबर से धान खरीदी शुरू नहीं होने पर विपक्षी पार्टी ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. इसी बीच कई जगहों पर धान समितियों ने प्रदर्शन करना भी शुरू कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में हुई। जिसमें धान खरीदी की तैयारियों, बारदाने की उपलब्धता को लेकर चर्चा हुई। लेकिन धान खरीदी की तारीख को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ। इस बैठक के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि अभी पूरे प्रदेश में बहुत कम धान की कटाई हुई है। लिहाजा दीवाली के तुरंत बाद समिति की फिर से बैठक होगी। जिसमें धान की आवक को देखते हुए खरीदी की तारीख को लेकर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से 30 फीसदी बारदाना मिला है। उन्होंने कहा कि हम PDS, राइस मिलर्स और बाजार से भी बारदाना खरीद रहे हैं। धान खरीदी के पहले दिन से ही किसानों के बारदाने का भी उपयोग किया जाएगा।

धान खरीदी शुरू होने से पहले धमतरी और राजनांदगांव में सहकारी समितियों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वे दो साल से सोसायटी को नुकसान होने की बात कह रहे हैं। वहीं पांच सूत्रीय मांग पूरी नहीं होने पर धान खरीदी का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं। छत्तीसगढ़ में धान और किसान सबसे बड़ा सियासी मुद्दा है। जाहिर है आने वाले दिनों में धान पर सियासी घमासान और बढ़ेगा।

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