
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रही सरकार को रिजर्व बैंक ने उम्मीद से भी ज्यादा मदद दी है। सरकार ने 2021-22 के लिए पेश बजट में जहां आरबीआई से कुल 50 हजार करोड़ का सरप्लस मिलने का अनुमान लगाया था, वहीं रिजर्व बैंक ने 99,122 करोड़ देकर सबको चैंका दिया। डीबीएस की प्रमुख अर्थशास्त्री राधिका राव का कहना है कि रिजर्व बैंक ने संकट में चल रहे सरकारी खजाने में उम्मीद से कहीं ज्यादा राशि डाल दी है।
दूसरी लहर में कारोबारी गतिविधियां लगातार सुस्त हो रही हैं और राजस्व पर भी दबाव बढ़ने लगा है। ई-वे बिल में बड़ी गिरावट से मई का जीएसटी संग्रह कई महीने के निचले स्तर पर जा सकता है। ऐसे में आरबीआई से मिली राशि न सिर्फ महामारी से लड़ने को मजबूत बनाएगी, बल्कि सरकार पर राजस्व का दबाव भी कुछ हद तक कम होगा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, सरकार को निजीकरण और विनिवेश से 24 हजार करोड़ मिलने की उम्मीद है, जो फिलहाल धूमिल हो रही है। साथ ही खर्च में कटौती न कर पाने की भी मजबूरी है। ऐसे मेें मई-जून में अप्रत्यक्ष कर वसूली में आने वाली संभावित गिरावट की रिजर्व बैंक की मदद से भरपाई हो सकेगी। रिजर्व बैंक ने लाभांश और सरप्लस के रूप में 2018-19 में सरकार को रिकॉर्ड 1.76 लाख करो? रुपये दिए थे। इसमें से 1.23 लाख करो? लाभांश और 52,637 करो? सरप्लस राशि के रूप में मिले थे। पिछले सार आरबीआई ने अपने सरप्लस का महज 44त्न हिस्सा यानी 57,128 करो? की राशि ही सरकार को दी थी।