शारदा चौक-तात्यापारा सड़क चौड़ीकरण को लेकर कांग्रेस पार्षद दल ने अब सड़क पर उतर आया है। रोड़ चौड़ीकरण को लेकर कांग्रेस पार्षद दल ने नगरीय निकाय और PWD मंत्री अरुणसाव से मुलाकात कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा स्वीकृत फंड को जारी करने की मांग की थी। साथ ही PWD एजेसी से चौड़ीकरण के काम को रायपुर नगर निगम को देने की मांग की थी।
क्यों जरूरी है चौड़ीकरण : शारदा चौक से फूल चौक के बीच सड़क संकरी है। सुबह और शाम को ट्रैफिक के पीक समय में यहां लंबा जाम लगता है। इस दौरान कई बार लोग 15 से 20 मिनट तक फंस जाते हैं। इस बीच आस-पास की बाइपास सड़कें भी जाम हो जाती है। लोगों को इस समस्या राहत दिलाने के लिए ही करीब 19 साल पहले चौड़ीकरण का प्रस्ताव बनाया गया था।तात्यापारा से शारदा चौक के बीच भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई में 19 साल से उलझा रोड का चौड़ीकरण का मुद्दा निगम चुनाव आने के पहले खासा गर्मा गया है।
कांग्रेस सरकार के दौरान कांग्रेसी महापौर ने चौड़ीकरण के लिए बजट तो स्वीकृत करवा लिया लेकिन इससे प्रभावितों के लिए मुआवजे की दर तय नहीं करवा पाए। सोमवार को एमआईसी की बैठक में चौड़ीकरण मुख्य एजेंडा रहा। मुआवजा तय करने एमआईसी मेंबरों की कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी पहले फेज के चौड़ीकरण में जो मुआवजा दिया गया था, उसका अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी कि अब कितना मुआवजा दिया जा सकता है।
पिछली सरकार मे 137 करोड़ का बजट
महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि पिछली सरकार ने पीडब्ल्यूडी को 137 करोड़ का बजट दिया गया है। टोकन के तौर पर चार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। सभी व्यापारी चौड़ीकरण के पक्ष में हैं। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद देरी की जा रही है। हमारी मांग है की जल्द से जल्द चैड़ीकरण का काम पूरा है।
2005 में तैयार हुआ था चौड़ीकरण का पहला प्रस्ताव
सड़क चौड़ीकरण का प्रस्ताव पूर्व महापौर सुनील सोनी के कार्यकाल में 2005-06 में तैयार किया गया था। उस समय आमापारा से शारदा चौक तक चौड़ीकरण था। इसे दो फेज में पूरा करना था। पहले फेमें आमापारा से तात्यापारा तक चौड़ीकरण हुआ। दूसरे फेज का काम शुरू हो पाता, उससे पहले निगम में सत्ता बदल गई।
सुनील सोनी की जगह किरणमयी नायक महापौर बनीं। किरणमयी के बाद प्रमोद दुबे महापौर बने। इस दौरान कई बार दूसरे फेज यानी तात्यापारा से शारदा चौक का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया। मुआवजे को लेकर निगम और राज्य शासन के बीच सहमति नहीं बन पाई। क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकारें रहीं। हालांकि भाजपा शासनकाल में ही पूर्व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने भी सर्वे करवाकर 55 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा था। नगर निगम में तब कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार के दौरान प्रस्ताव पर फिर से चर्चा हुई। राज्य सरकार ने बजट में प्रावधान किया। इससे पहले की चौड़ीकरण शुरू हो पाता, राज्य में फिर से सत्ता बदल गई।
24.8 मीटर चौडी करनी है सड़क
14.30 से 19.50 मीटर चौड़ाई को बढ़ाकर 24.80 मीटर करना है ।
सड़क के दोनों तरफ 88 दुकानें और मकान जद में आ रहे ।
137 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट के लिए राज्य शासन ने मंजूर किया ।
2005-06 में सुनील सोनी के कार्यकाल में प्रस्ताव बनाया गया ।
रोज 80 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं इस सड़क से ।
चौड़ीकरण में रायपुर पश्चिम के दो वार्ड हो रहे प्रभावित।
29 करोड़ से 137 करोड़ पहुंच गई प्रोजेक्ट की कुल लागत।
विपक्ष पर आखिर क्यों भड़के सभापति जगदीप धनखड़.