हाथी प्रभावित क्षेत्रों का कलेक्टर ने किया दौरा, ग्रामिणों को तत्काल राहत राशि देने के निर्देश
जंगली हाथियों से बचाव हेतु हरसंभव सहायता देने का ग्रामिणों दिया आश्वासन
रोमी सिद्दीकी/ अम्बिकापुर। सरगुजा के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों के आतंक से आम ग्रामीणों को राहत दिलाने के लिए कलेक्टर कुंदन कुमार ने मैनपाट के हाथी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया है। इस दौरान कलेक्टर ने जंगली हाथियों के द्वारा क्षतिग्रस्त घरों के स्वामियों को तत्काल राहत राशि देने के लिए वन विभाग को आदेश दिया है। वही हाथियों से बचाव हेतु हाथी सेफ हाउस की मरम्मत करने का भी निर्देश दिया है।
कलेक्टर कुन्दन कुमार, जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह, वनमंडलाधिकारी पंकज कमल सहित अन्य अधिकारियों को साथ लेकर मैनपाट के हाथी प्रभावित क्षेत्र कंडराजा व बरडांड का दौरा कर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने हाथियों द्वारा बरडांड में क्षतिग्रस्त किये तीन घरों का निरीक्षण किया और प्रभावित परिवारों के सदस्यों को शासन के नियमानुसार मुआवजा राशि दिलाने तथा आश्रय स्थल सहित अन्य सुविधा मुहैया कराने के आश्वासन दिये। ग्रामीणों के द्वारा मुआवजा राशि लंबित होने की जानकारी देने पर इस वन विभाग के रेंज को फटकार लगाते हुए दो दिन में पात्रतानुसार मुआवजा राशि वितरित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने बरडांड व कंडराजा दोनों गांव को पैदल ही भ्रमण कर प्रभावित घरों को देखा। इस दौरान ग्रामिणों से कलेक्टर कुमार ने काफी देर तक चर्चा करते हुए उनकी समस्याओं को सुना।
जंगली हाथियों का आना शुरू हो चुका है
जंगली हाथियों का आतंक सरगुजा के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में एक बार फिर से शुरू हो गया है। बरसात के शुरुआत में यह हाथी झारखंड के बैतला नेशनल पार्क से होते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं। जहाँ तेमोर पिंगला अभ्यारण बलरामपुर से होते हुए सरगुजा में प्रवेश करते हैं। इस बीच इनके रास्ते में जो भी आता है ये उन्हें तबाह व बरबाद कर देते हैं। बहरहाल जंगली हाथियों से नुकसान कम से कम हो इसके लिए सरगुजा जिला प्रशासन अभी से एक्शन मोड में है।
हाथियों का सरगुजा से पुराना नाता है
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सरगुजा में जंगली हाथियों का आना कोई नयी बात नहीं है सैकड़ों वर्षों से सरगुजा के घनघोर जंगल गजराज को लुभाते रहे हैं। सरगुजा के अतीत पर नजर डालें तो झारखंड , छत्तीसगढ़ के सरगुजा फिर उड़ीसा हाथियों का एक कोरिडोर है। जंगली हाथी प्रायः झारखंड के बेतला नेशनल पार्क से बरसात शुरू होते हैं सरगुजा या कहे छत्तीसगढ़ की ओर रुख करते हैं। बलरामपुर के शेमरसोत, तेमोर पिंगला अभ्यारण जोकि आज भी घनघोर जंगल है में कई दिनों तक विचरण करने के पश्चात जंगली हाथियों का दल सरगुजा होते मैनपाट की पहाड़ी के तराई वाले क्षेत्र से होते हुए कोरबा का रूख करते हैं लेकिन जंगली हाथियों का झूंड सरगुजा व कोरबा के जंगल में पुरी ठंडी बिताते है। जब हथनियों के द्वारा बच्चा दिया जाता है तब ये यह से बच्चा को लेकर उड़ीसा की जंगलों की ओर रुख कर लेते हैं। वही कुछ झूंड सरगुजा के जंगल में ही अपने बच्चों के साथ विचरण करते हैं। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में इन हाथियों के बच्चे अक्सर ग्रामीणों घरों में घुस जाते हैं। जहां से वह निकल नहीं पाते हैं ऐसी स्थिति में हाथियों के द्वारा पूरे गांव को तहस-नहस कर देते है।
सरगुजा के हाथी युद्ध के लिए सबसे बेहतर माने जाते थे
सरगुजा के इतिहास पर नजर डालें तो सरगुजा स्टेट का अपना एक गौरवमयी इतिहास रहा है तत्कालीन सरगुजा के महाराज टीएस सिंहदेव के, पूर्वज सरगुजा रियासत को ना सिर्फ सजाए संवारे हैं बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों से बचाए रखें। मुगल दौर की बात करें तो उस दौर सरगुजा रियासत से बाकायदा युद्ध कौशल दक्ष हाथियों की मांग दिल्ली के बादशाह के द्वारा किया जाता था क्योंकि सरगुजा के हाथी देश के अन्य स्थानों में पाये जाने वाले हाथियों से लम्बाई, चौडाई व शक्ति में काफी बेहतर थे। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की सरगुजा का इतिहास कितना गौरवशाली रहा होगा।