सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जहां स्कूल शिक्षा गुणवत्ता को लेकर कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बना रहेे हैं। वहीं दूसरी ओर सरपंच जैसे जनप्रतिनिधि उनकी महत्वाकांक्षी योजनाएं जो शिक्षा को लेकर बनी है उस पर पलीता लगा रहे हैं। बाल: देवो भव यह वाक्य छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में आपको लिखा हुआ दिखेगा इसका मतलब होता है बच्चे भगवान होते हैं। किंतु इसके विपरीत आज एक ऐसा वाक्या सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक स्थित पोडी़ ग्राम पंचायत के छिंदपारा शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में उस वक्त देखने को मिला जब बच्चे अपनी भोजन की खाली थाली अपने हाथों में रखे हुए दिखे। इस विद्यालय में आज मध्यान भोजन बना ही नहीं, कारण था पानी का ना होना।
बता दें, यह क्षेत्र स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह के गृह जिले में आता है। स्कूल के प्रधान पाठक ने बताया कि पिछले 5 दिनों से पेयजल के लिए लगा हुआ मोटर सरपंच के द्वारा निकाल दिया गया है और आज तक उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। नतीजतन विद्यालय के बच्चे पेयजल की समस्या से तो जूझ ही रहे हैं। आज उन्हें इसी वजह से भोजन भी नहीं मिला। इतना ही नहीं जब भोजन और पीने के लिए पानी नहीं है तो शौचालयों का उपयोग भी कैसे होगा। ऐसे में बाल: देवो भव का विद्यालय की दीवारों पर लिखा जाना व्यर्थ ही नजर आता है।
अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है और बच्चे भूखे ना रहे इसके लिए क्या कदम उठाता है।