रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार सरकार बनाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में है लेकिन चुनाव की तैयारी में जोर-शोर से जुटी हुई है। इसी सिलसिले में भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का बस्तर दौरा शुरू हो गया है। जिस तरह से प्रदेश में पुराने चेहरों से पार्टी धीरे-धीरे किनारा करती नजर आ रही है, वैसे ही माना जा रहा है कि इस बार चुनावी मोर्चे पर भी कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी को नई और बदली रणनीति की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है। क्योंकि आदिवासी वोटरों ने पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी को पिछले चुनाव में नकार दिया है और जितने बड़े बहुमत से कांग्रेस ने वापसी की है उस लिहाज से जरूरी है कि बस्तर के पुराने गढ़ में फिर से भाजपा अपना परचम लहराए वरना अगले चुनाव में सरकार बनाने का दावा धरा का धरा रह जाएगा।
छत्तीसगढ़ में सत्ता के दरवाजे बस्तर के रास्ते खुलते है लेकिन बस्तर के आदिवासी वोटरों का दिल जीतना नेताओं के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। खासकर भारतीय जनता पार्टी के लिए 2008 में जहां आदिवासियों ने भारतीय जनता पार्टी को बस्तर संभाग से 11 सीटें दी थी। वही 2013 आते-आते यह सीटें घटकर 5 रह गई इस पर भी छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने की हैट्रिक बनाने वाली भाजपा ने आदिवासी मतदाताओं के मिजाज को हल्के में लिया और नतीजा 2018 के चुनाव में सामने था एक तरफा सूपड़ा साफ, चुनावी नतीजों ने भाजपा के नेतृत्व और आदिवासी नेताओं पर सवालिया निशान उठाए हैं। देश के सबसे बड़े संगठन के साथ भारतीय जनता पार्टी आदिवासी वोटरों का दिल जीतने में कामयाब नहीं रही।
चुनावों में हार को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा क्या किया कि आदिवासी वोटर उसके हाथ से पूरी तरह से फिसल गया जाहिर है जो जब आप सामने आए उसमें पार्टी के पुराने चेहरे नेताओं की कार्यप्रणाली और कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होना अहम थे। यही वजह है कि अब नए प्रदेश अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ नए चेहरों की बिसात फिर से बिछाई जा रही है और लगातार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का दौरा भी इसी सिलसिले में बस पर हो रहा है। जिस पर कांग्रेसी तंज कसने से चूक नहीं रहे।
वही अबकारी मंत्री ने प्रदेश अध्यक्ष के दौरे को लेकर तंज कसते हुए कहा, नई दुल्हन की स्वागत होती है और आज जगदलपुर में यही हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा कुछ भी कर ले 15 साल के कार्यकाल को जनता भूली नहीं है। हमारी सरकार सभी वर्गों के लिए काफी अच्छा काम किया है। यही वजह है कि आने वाले 2023 चुनाव में कांग्रेस 80 सीटों पर जीत हासिल करेगी। साथ ही 2024 में केंद्र में भी हमे सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
एक बार फिर चुनाव नजदीक है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी पूरे जोर-शोर के साथ अपनी पुरानी कमियों को भुलाते हुए फिर से जीत का दावा कर रही है। पर सवाल यह है कि माओवादी मोर्चे पर आदिवासियों का विस्वास जीतने में नाकाम रही भारतीय जनता पार्टी उनकी नाराजगी दूर कर फिर से उन्हें अपने पाले में ला पाएगी।
फिलहाल, यह जिम्मेदारी पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की मानी जा रही है। दोनों का पांच दिवसीय बस्तर दौरा इस मायने में काफी महत्वपूर्ण है जो आने वाले चुनाव में पार्टी की चुनावी रणनीति की दिशा तय करने के लिए अहम होगा।