रायपुर। आदिवासी आरक्षण में कटौती पर भाजपा का चक्का जाम घड़ियाली आंसू है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के षड़यंत्र और पूर्ववर्ती रमन सरकार के द्वारा जानबूझकर बरती गयी लापरवाही के कारण हाईकोर्ट ने आरक्षण की सीमा को घटाकर 58 से 50 फीसदी किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भाजपा नेताओं से 5 सवाल पूछा कि-
– जब आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 58 करने के खिलाफ अदालत में याचिका लगी तो रमन सरकार ने कोर्ट को आरक्षण बढ़ाने के तर्कसंगत कारणों को कोर्ट के समक्ष क्यों नहीं रखा?
– आरक्षण बढ़ाने के लिये तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में बनाई गयी कमेटी की सिफारिशों को अदालत के समक्ष क्यों नहीं रखा गया?
– तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों को अदालत में क्यों छुपाया गया?
– रमन सरकार ने आरक्षण के संदर्भ में दो कमेटियां बनाई थी तो इन कमेटियों के बारे में आरक्षण संबंधी मुकदमे के लिए हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में रमन सरकार ने इसका जिक्र क्यों नहीं किया?
– जब रमन सरकार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर रही थी तो अनुसूचित जाति के आरक्षण में 4 प्रतिशत की कटौती करने के बजाय आरक्षण सीमा को 58 प्रतिशत से 62 क्यों नहीं किया? इससे लोग अदालत नहीं जाते, बढ़ाया गया आरक्षण यथावत् रहता। आज भी देश के अनेक राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण है, रमन सरकार ने जानबूझकर यह गलती किया ताकि बढ़ा आरक्षण अदालत में रद्द होगा।
भाजपा में साहस है तो इन 5 सवालों का जवाब दें।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आदिवासी समाज को उनका हक दिलाने के लिये कांग्रेस पार्टी प्रतिबद्ध है। बिलासपुर हाईकोर्ट फैसले के खिलाफ कांग्रेस सरकार उच्चतम न्यायालय गयी है। इसके साथ अन्य संवैधानिक मार्गो को तलाशा जा रहा, विशेष सत्र और अध्यादेश लाने के मार्ग भी खोजे जा रहे आदिवासियों का 32 प्रतिशत आरक्षण जरूर मिलेगा। आदिवासी समाज सहित सभी वर्गों को उनका पूरा हक मिले इसको सुनिश्चित किया जायेगा।