बाइक एंबुलेंस बनी आदिवासियों के लिए वरदान, बचा रही लोगों की जान
शिशु मृत्यु दर में आई कमीं, संस्थागत प्रसव को मिला बढावा
कबीरधाम। ये कोई बाइक एंबुलेंस (Bike ambulance) के पायलट नहीं, जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण (Collector Avnish Kumar Sharan) हैं। कलेक्टर साहब खुद ही बाइक एंबुलेंस (Bike ambulance) पर हाथ आजमा रहे हैं।आखिर आजमाएं भी क्यों न ! इसी के दम पर तो इनके जिले में लोगों की जान बचाई जा रही है। शिशु मृत्यु दर 250 से घटकर 192 हो गई है। 50 से ज्यादा गांवों में इसकी सेवाएं बाकायदा काम कर रही हैं। इसके माध्यम से अब तक 4868 लोग अब तक अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाए जा सके हैं । आदिवासी (Trible) बाहुल्य वाला पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां सड़कों की भी दिक्कतें काफी ज्यादा हैं।
कब शुरु हुई ये सेवा
बाइक एंबुलेंस की सेवाएं जुलाई 2018 में शुरु हुई थीं। सबसे पहले यहां के 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centre) को 5 बाइक एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई थीं। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दलदली झलमला बोक्करखार कुकदूर और छिरपानी प्रमुख रूप से शामिल हैं। कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने कहा कि पहले ही साल इसने अपनी सफलता का झंडा गाड़ दिया। इस दौरान इन एंबुलेंसों ने 332 गर्भवतियों को हास्पिटल पहुंचा। तो 346 प्रसूताओं को उनके घर तक ले जाकर छोड़ा।
किसके पास रहता है नंबर
कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने कहा कि बाइक एंबुलेंस का नंबर सभी गांवों के पंचों सरपंचों गांव के प्रमुख लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रमुख जगहों पर लिख कर लटकाया गया है। कॉल करने के थोड़ी ही देर में एंबुलेंस आ जाती है और अपने मरीज को लेकर अस्पताल चली जाती है। इसके लिए कोई पैसा नहीं देना होता। ये सेवा पूरी तरह मुफ्त है।